नई दिल्ली. केंद्र सरकार की ओर से जारी किए गए ट्रेड डाटा के अनुसार वित्त वर्ष 2021- 22 में चीन, भारत से चावल आयात करने वाला सबसे बड़ा देश बन गया है। भारत ने चीन को इस दौरान 16.34 लाख मीट्रिक टन चावल का निर्यात किया है जो कि उसके कोई चावल निर्यात का 7.7 फीसदी है। डाटा के अनुसार चीन को किए गए कुल निर्यात में से 97 फीसदी टूटे चावल थे। आइए जानते हैं कि आखिर क्यों चीन इतनी बड़ी मात्रा में भारत से टूटे चावलों का आयात किया और वह इसका क्या करेगा?

चीन क्यों चावल कर रहा है आयात: चीन की सालाना चावल की खपत करीब 16 करोड़ टन की है लेकिन चीन में कुल चावल का उत्पादन करीब 14 करोड़ टन होता है, मांग और उत्पादन के बीच इस गैप को भरने के लिए चीन बाकी का चावल विदेशों से आयात करता है। वहीं, देखा जाए तो पिछले कुछ समय में विदेशों में भारतीय चावल की मांग तेजी से बढ़ी है जिस कारण चीनी आयातक पिछले कुछ सालों से धीरे-धीरे भारत से चावल के आयात को बढ़ा रहे थे। इस कारण भारत के चावल पर चीनी निर्यातकों का भरोसा बढ़ा है। इसी का परिणाम है कि चीन को निर्यात किए जाने वाले चावल में पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले 476 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।

टूटे चावल क्या करेगा चीन?: चीन में बड़े स्तर पर टूटे चावल खाने का ट्रेंड रहा है। वहां पर बासमती चावल की मांग काफी कम है, लोग टूटे चावल ही खाना पसंद करते हैं। ऐसा ही ट्रेंड वियतनाम, थाईलैंड और वियतनाम जैसे देशों में देखा गया है। वहीं, इस चावल का चीन कमर्शियल गुड्स बनाने में भी उपयोग कर सकता है। ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष विजय सेठिया कहते हैं कि टूटे चावल खरीदने के पीछे चीन का मुख्य उद्देश्य उसको उपयोग करके वाईन और नूडल बनाना है।