नई दिल्ली. अगर आप जॉब करते हैं और आपका PF यानी प्रोविडेंट फंड कटता है तो आप EPFO के बारे में जानते ही होंगे. ईपीएफओ कर्मचारियों के वेतन का कुछ हिस्सा काटकर अपने पास रखता है. इसके बाद रिटायरमेंट होने या जरूरत पड़ने पर यह आपको आपकी जमा राशि को ब्याज समेत लौटाता है. इसके अलावा यह पेंशन भी देता है. केंद्र सरकार समय-समय पर पीएफ अकाउंट में जमा राशि पर ब्याज भी देती है.

इंटरेस्ट रेट साइकिल के बारे में बात करें तो वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए ईपीएफओ के ट्रस्टी बोर्ड ने 8.5 फीसदी ब्याज देने के बारे में फैसला लिया था. यह फैसला मार्च 2021 में लिया गया था. अक्टूबर 2021 में एक नोटिफिकेशन के जरिए यह ब्याज देने की घोषणा की, लेकिन, यह ब्याज खातों में दिसंबर 2021 में आया. इस दौरान मार्च और दिसंबर के बीच का अंतर करीब 9 महीने का था.

साथ ही अगर फाइनेंशियल ईयर 2021-22 के ब्याज के बारे में बात करें तो माना जा रहा था कि इस साल जुलाई 2022 तक खातों ब्याज आ जाएगा, लेकिन इसमें 4 महीने का अंतर है. अकाउंट में ब्याज समय पर क्रेडिट नहीं होने की बड़ी वजह यह है कि ईपीएफओ ब्याज पेमेंट के लिए ग्लोबल स्टैंडर्ड को नहीं अपनाता है. वह मार्केट से जुड़ी इनकम पर इंटरेस्ट पेमेंट नहीं करता है. इसके बजाय वह एडमिनिस्टर्ड रेट ऑफ इंटरेस्ट का पालन करता है. इसका मतलब यह है कि अब तक ईपीएफओ के पास खुद की इन्वेस्टमेंट टीम नहीं है.

इसके अलावा दूसरी सबसे बड़ी वजह यह है कि ईपीएफओ श्रम और रोजगार मंत्रालय के अधीन आता है. इसे ब्याज के पेमेंट के लिए वित्त मंत्रालय की मंजूरी लेना पड़ती है. इसकी वजह यह है कि ब्याज पेमेंट पर हर साल बहुत ज्यादा रकम खर्च होती है. वित्तीय मामलों पर फाइनेंस मिनिस्ट्री और ईपीएफओ की एप्रोच अलग-अलग हैं. वित्त मंत्रालय को ईपीएफओ की फाइनेंशियल स्थिति देखनी पड़ती है.

मान लीजिए कि एक कर्मचारी के पीएफ अकाउंट में 31 मार्च 2021 को बतौर ब्याज 1,000 रुपये जमा होना हैं, लेकिन यह रुपये 31 जुलाई को अकाउंट में आते हैं. अब इस रकम की रियल वैल्यू मार्च में क्रेडिट होने वाली रकम की वैल्यू से कम हो जाती है. यहां टाइम वैल्यू और अपॉर्चुनिटी कॉस्ट का असर पड़ता है. इसकी वजह समय के साथ वैल्यू में आई गिरावट है. दूसरा, इस देर के चलते कर्मचारी इस राशि इस्तेमाल नहीं कर सकता है.

ब्याज भुगतान में देरी से बचने के लिए ब्याज का 60-65 फीसदी पैसा एक महीने के अंदर क्रेडिट किया जा सकता है. बाकी पैसा वित्त मंत्रालय के एप्रूवल के बाद जमा किया जा सकता है. हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में ईपीएफओ ने अपने मेंबर्स को सेवाएं में सुधार लाने के लिए कई कदम उठाए हैं. लेकिन, इसे प्रोफेशनल मॉडर्न सोसायटी के रूप में बदलने के लिए राजनीतिक फैसले की जरूरत है.