नई दिल्ली. केंद्रीय मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता नितिन गडकरी ने गुरुवार को मीडिया के एक वर्ग पर राजनीतिक लाभ के लिए मनगढ़ंत अभियान चलाने का आरोप लगाया। गडकरी ने इस बाबत कई ट्वीट किए। केंद्रीय मंत्री ने अपनी सरकार, पार्टी और लाखों कार्यकर्ताओं हित में कानून कार्रवाई की चेतावनी भी दी।
भाजपा नेता का ट्वीट उन खबरों के बीच आए, जिनमें कहा जा रहा था कि भाजपा और संघ नेतृत्व उनके सार्वजनिक बयानों से नाराज है। रिपोर्ट्स में यह भी दावा किया जा रहा था कि गडकरी को इस माह की शुरुआत में पार्टी की टॉप बॉडी ‘संसदीय बोर्ड’ से इसलिए हटा दिया गया क्योंकि भाजपा और आरएसएस नेतृत्व उनके बार-बार के तानों से खुश नहीं था।
हालांकि, गडकरी के कार्यालय ने कहा कि 2018 के बाद से ऐसे कई उदाहरण हैं जब मंत्री के शब्दों को कथित तौर पर तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया था। मंत्री के एक करीबी सूत्र ने कहा, ”ज्यादातर बयानों को विवाद पैदा करने की नीयत से संदर्भ से हटाकर पेश किया गया। ये सब मीडिया और सोशल मीडिया के फ्रिंज एलिमेंट द्वारा किया गया। इससे पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं के बीच भ्रम और दुविधा पैदा हुई।”
बता दें कि गुरुवार को गडकरी ने एक के बाद एक कई ट्वीट कर मीडिया और सोशल मीडिया में चले उनके अधूरे बयान पर नाराजगी व्यक्त की। उन्होंने लिखा, ”आज एक बार फिर मुख्यधारा की मीडिया, सोशल मीडिया के कुछ वर्ग और विशेष रूप से कुछ लोगों ने अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए मेरे बयान को तोड़-मरोड़कर पेश करके नापाक और मनगढ़ंत अभियान जारी रखने का प्रयास किया जा रहा है।
हालांकि मैं फ्रिंज एलिमेंट के इस तरह के दुर्भावनापूर्ण एजेंडे से कभी परेशान नहीं हुआ हूं लेकिन फिर भी सभी संबंधितों को चेतावनी देता हूं कि मैं अपनी सरकार, पार्टी और हमारे लाखों मेहनती कार्यकर्ताओं के व्यापक हित में उन्हें कानून के दायरे में ले जाने से नहीं हिचकचाऊंगा।”
2017 और 2018 के बीच पिछले लोकसभा चुनावों से पहले गडकरी के नाम को पार्टी के एक वर्ग ने संभावित प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में प्रचारित किया था। सूत्र ने बताया “यह भी एक शरारत थी। न तो मंत्री ने और न ही उनके कार्यालय ने यह अभियान शुरू किया; यह हमारा एजेंडा भी नहीं था। मंत्री का रुख स्पष्ट था और हम इसे स्पष्ट करते रहे। मंत्री का हर बयान भाजपा नेतृत्व से जुड़ा था। गडकर इस अभियान से आहत और परेशान हुए थे”
सूत्रों ने कहा कि अगर भाजपा नेतृत्व गडकरी को सरकार से हटाने का फैसला करता है तो इसकी संभावना नहीं है कि आरएसएस कोई आपत्ति उठाएगा।
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ऐसी भी अफवाहें थीं कि गडकरी को केंद्र सरकार से हटाया जा सकता है और शीर्ष नेतृत्व उनकी जगह महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को लाना चाहता है, जो राज्य के एक अन्य ब्राह्मण नेता हैं, जिन्हें आरएसएस नेतृत्व का करीबी माना जाता है। लेकिन गडकरी के करीबी नेताओं का कहना है कि पार्टी के दिग्गज इस तरह की किसी भी बात पर प्रतिक्रिया नहीं देंगे। एक सूत्र ने कहा, “उनका मानना है कि किसी मंत्री को कैबिनेट में रखना प्रधानमंत्री का विशेषाधिकार है।”
हालांकि सूत्र ने कहा, ”सवाल यह है कि उन्हें हटाने की वजह क्या हो सकती है। अगर प्रदर्शन की बात करें तो गडकरी इस कैबिनेट में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले मंत्रियों में से एक हैं। अगर वजह उम्र है, तो वह सिर्फ 65 वर्ष के हैं। यदि आप अनुशासनहीनता का हवाला देना चाहते हैं, तो आप कुछ गलत रिपोर्ट और गलत व्याख्या वाले बयानों का हवाला देकर खुद को कैसे सही साबित करेंगे?”