मेरठ. कंपकंपा देने वाली ठंड के बीच पश्चिमी उत्तर प्रदेश में राजनीतिक हवा इन दिनों मानो लू की तरह गरम हो चली है। विधानसभा चुनाव के लिए प्रत्याशियों के टिकट घोषित होते ही आक्रोश की आंच से समाजवादी पार्टी-राष्ट्रीय लोकदल गठबंधन की गांठें झुलसने लगी हैं। भारतीय जनता पार्टी की घेरेबंदी में जुटे गठबंधन के प्याले में सहारनपुर से लेकर बागपत तक तूफान उठ खड़ा हुआ है। टिकट बंटवारे से नाराज रालोद कार्यकर्ताओं ने मंगलवार को नई दिल्ली में पार्टी मुखिया चौधरी जयंत सिंह के सामने प्रदर्शन किया, वहीं सपा भी उनके निशाने पर आ गई है। रालोद पदाधिकारियों ने अब हाथ से जाट वोटों के भी फिसल जाने की आशंका जताई है। उधर, मेरठ में सपा ने ज्यादातर सीटों पर मुस्लिम चेहरों को उतारकर रालोद को सांसत में डाल दिया है।

पश्चिमी उप्र में मेरठ, बागपत और मुजफ्फरनगर को रालोद का सबसे बड़ा गढ़ माना जाता है। सन 2014 के लोकसभा चुनाव से पश्चिम में जमीन गंवाने वाले रालोद को किसान आंदोलन से संजीवनी मिली। पंचायत चुनावों में रालोद मजबूत हुआ और विधानसभा चुनाव में सपा के साथ गठबंधन किया, लेकिन यहां से आगे पार्टी की डगर कठिन होती जा रही है। मेरठ-बागपत की दस विधानसभा सीटों पर भाजपा ने पांच जाट चेहरों को उतारा, जबकि जाट वोटों पर सर्वाधिक दावा करने वाले रालोद ने सिर्फ तीन चेहरों को मौका दिया। इसमें भी बागपत की छपरौली सीट पर रालोद ने पहले पूर्व विधायक वीरपाल राठी को टिकट दिया लेकिन विरोध के स्वर तेज होने पर पार्टी प्रमुख चौधरी जयंत सिंह ने बुधवार को उनकी जगह पूर्व विधायक प्रोफेसर अजय को मैदान में उतार दिया। राजनीतिक पंडितों के अनुसार प्रत्याशी बदलने से जहां गठबंधन का अंर्तविरोध सामने आ गया, वहीं भाजपा को भी संजीवनी मिल गई।

मेरठ की सिवालखास सीट पर रालोद मजबूती से जाटों का दावा मानती है लेकिन यहां पर सपा ने पूर्व विधायक गुलाम मोहम्मद को रालोद के चुनाव निशान हैंडपंप के सहारे उतार दिया। इस सीट पर लंबे समय से चुनावी तैयारी करने वाले रालोद के चौधरी यशवीर सिंह, राजकुमार सांगवान और सुनील रोहटा इससे सन्न रह गए। इनके समर्थकों ने नई दिल्ली में चौधरी जयंत सिंह के सामने प्रदर्शन किया, प्रत्याशी के खिलाफ जमकर नारेबाजी हुई। रालोद पदाधिकारियों का आरोप है कि सपा मुखिया अखिलेश गठबंधन धर्म के नाम पर चौधरी जयंत को राजनीतिक दबाव में ले रहे हैं, जिससे कार्यकर्ताओं का मनोबल उखड़ रहा है।

गठबंधन के टिकटों को लेकर सपा के सामने भी नई मुश्किलें खड़ी हो रही हैं। सहारनपुर में पूर्व विधायक इमरान मसूद और कांग्रेस के टिकट पर वर्तमान में विधायक मसूद अख्तर को सपा ने टिकट नहीं देकर खास वर्ग को नाराज कर लिया है। मुजफ्फरनगर में अमीर आलम, नवाजिश आलम और कादिर राणा जैसे चेहरों को टिकट की दौड़ से बाहर करने से भी सपा कार्यकर्ताओं में असमंजस की स्थिति बन गई है। सपा ने मुजफ्फरनगर की छह में से पांच सीटों को भले ही रालोद की झोली में डाला, लेकिन इनमें चार सीटों पर सपा नेता ही रालोद के टिकट पर चुनाव लड़ेंगे। जाहिर है कि इससे लंबे समय से चुनावी तैयारी में जुटे सपा कार्यकर्ताओं में भारी नाराजगी है। उधर, कैराना में नाहिद हसन का टिकट तय करते ही सपा सवालों के घेरे में आ गई है क्योंकि नाहिद अब जेल में हैं।

सपा-रालोद गठबंधन ने पश्चिमी उप्र की राजनीतिक राजधानी मेरठ में ज्यादातर सीटों पर मुस्लिम चेहरों को उतारा है। इससे रालोद पदाधिकारी असहज नजर आ रहे हैं। सपा ने गठबंधन की ओर से मेरठ शहर सीट से रफीक अंसारी, दक्षिण से आदिल चौधरी, किठौर से शाहिद मंजूर और सिवालखास में गुलाम मोहम्मद को उतारा है, जिसे रालोद कार्यकर्ता पचा नहीं पा रहे। इसी तरह सपा ने सरधना सीट से गुर्जर चेहरा अतुल प्रधान को उतारा तो वहां से तैयारी कर रहे रालोद नेता और पूर्व जिलाध्यक्ष राहुल देव ने पार्टी से इस्तीफा तक दे दिया। रालोद के कई दिग्गज चेहरों की भी नाराजगी सामने आ रही है। हालांकि रालोद के राष्ट्रीय महासचिव त्रिलोक त्यागी कहते हैं कि गठबंधन के दौरान ही अखिलेश-जयंत में तय हो गया था कि सपा के कुछ नेता रालोद के सिंबल पर लड़ेंगे। रालोद की 31 सीटें घोषित हुई हैं, इनमें पांच पर सपा के चेहरे हमारे सिंबल पर उतरेंगे। अभी सहारनपुर, बिजनौर की कई सीटों पर घोषणा होनी बाकी है। छपरौली और सिवालखास को लेकर कोई विरोध नहीं है, कार्यकर्ताओं ने जयंत से मुलाकात कर अपनी बात जरूर रखी।