नई दिल्ली. महाराष्ट्र में पॉलिटिकल ड्रामा थमने का नाम लेता दिखाई नहीं दे रहा है. पिछले दिनों शिवसेना के 40 और एकनाथ शिंदे समेत 10 निर्दलीय विधायकों की बगावत के बाद उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री की कुर्सी से हाथ धोना पड़ा था. महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी की सरकार गिरने के बाद एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री बने और देवेंद्र फडणवीस ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली. अब सबकी नजरें मंत्रिमंडल विस्तार पर हैं. एकनाथ शिंदे गुट ने संकेत दिया है कि महाराष्ट्र मंत्रिमंडल का विस्तार राष्ट्रपति चुनाव के बाद हो सकता है. राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान आज हो रहा है.

लेकिन क्या उद्धव ठाकरे और CM एकनाथ शिंदे के बीच मुलाकात हो सकती है? क्या उद्धव ठाकरे एक बार फिर बीजेपी के साथ आएंगे? ये ऐसे सवाल हैं, जो कई दिनों से महाराष्ट्र के सियासी गलियारों में तैर रहे हैं. इस बीच शिवसेना के एक नेता का ट्वीट चर्चा का विषय बना हुआ है. शिवसेना नेता दीपाली सैयद ने अपने ट्वीट में लिखा, ‘यह सुनकर अच्छा लगा कि अगले दो दिनों में उद्वव ठाकरे और एकनाथ शिंदे शिवसैनिकों की भावनाओं पर चर्चा करने के लिए पहली बार मिलेंगे. साफ है कि शिंदे शिवसैनिकों की तड़प को समझते थे और उद्धव ठाकरे ने परिवार की भूमिका बड़े दिल से निभाई थी. इसमें मध्यस्थता में मदद के लिए बीजेपी नेताओं को धन्यवाद. एक हॉट स्पॉट इंतजार कर रहा होगा.’ दीपाली सैयद के ट्वीट में इस बात का भी जिक्र है कि दोनों के बीच बैठक की व्यवस्था करने में बीजेपी ने मदद की है.

इससे पहले दीपाली सैयद ने एक और ट्वीट में कहा था कि आदित्य ठाकरे जल्द ही कैबिनेट में आएं. मातोश्री पर शिवसेना के 50 विधायक पेश हों और एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे फिर से हाथ मिला लें. शिवसेना कोई गुट नहीं बल्कि हिंदुत्व का गढ़ है. उस पर हमेशा भगवा लहराता रहेगा.

वहीं सुप्रीम कोर्ट महाराष्ट्र के हालिया राजनीतिक संकट से संबंधित विभिन्न याचिकाओं की सुनवाई 20 जुलाई को करेगा. कोर्ट ने 11 जुलाई को उद्धव ठाकरे गुट के विधायकों को अंतरिम राहत देते हुए महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नारवेकर को इन विधायकों को अयोग्य ठहराये जाने की शिंदे गुट की मांग पर फिलहाल कोई कदम न उठाने का निर्देश दिया था. इन पांच याचिकाओं में सबसे पहली याचिका शिंदे गुट ने गर्मी की छुट्टियों के दौरान दायर की थी और तत्कालीन उपाध्यक्ष की ओर से अयोग्यता की कार्यवाही शुरू करने को चुनौती दी थी.