नई दिल्ली. भारत में रोजाना कोरोना के मामले अब कम होते जा रहे हैं. कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रोन के चलते आई तीसरी लहर के बाद अब राहत देखी जा रही है. हालांकि केंद्र और राज्य सरकारें ही नहीं बल्कि स्वास्थ्य विशेषज्ञ भी लोगों से लगातार कोविड वैक्सीन लगवाने की अपील कर रहे हैं. कोरोना की दोनों डोज के अलावा भारत में हेल्थकेयर और फ्रंटलाइन वर्कर्स को बूस्टर डोज भी लगाई जा रही है. वहीं 12 साल से ऊपर के बच्चों को भी कोरोना वैक्सीन देने के लिए मंजूरी दी गई है. इसके साथ ही छोटे बच्चों के लिए ट्रायल चल रहे हैं. जल्द ही 12 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए भी वैक्सीनेशन को मंजूरी मिल सकती है. ऐसे में फ्लू आदि की तरह एंडेमिक बनने की ओर बढ़ रहे कोरोना को लेकर एक सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या कोरोना वैक्सीन भारत में नियमित टीकाकरण में शामिल हो सकती है. क्या बच्चों या बड़ों को लगने वाले नियमित टीकों में इसे भी शामिल किया जा सकता है.
इस संबंध में आईसीएमआर (ICMR),जोधपुर स्थित एनआईआईआरएनसीडी (नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर इम्प्लीमेंटेशन रिसर्च ऑन नॉन कम्यूनिकेबल डिसीज) के निदेशक और कम्यूनिटी मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ. अरुण शर्मा कहते हैं कि भारत में अभी ऐसी स्थिति नहीं आई है कि इसे नियमित टीकाकरण में शामिल किया जाए. वैक्सीन के बहुत सारे तकनीकी पहलू हैं. पहले उम्र और बीमारी को देखते हुए श्रेणियां बनाई गईं और लोगों को कोरोना की दो डोज लगाई गईं. दोनों डोज से पैदा हुई इम्यूनिटी और कोरोना के नए-नए वेरिएंट आने के बाद देखा गया कि लोगों को बूस्टर डोज की जरूरत है. ऐसे में सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में भी बूस्टर डोज लगाना शुरू हुआ. भारत में इसे हेल्थकेयर और फ्रंटलाइन वर्कर्स के लिए शुरू किया गया.
डॉ. शर्मा कहते हैं कि कोरोना वैक्सीन से इम्यूनिटी को लेकर लगातार शोध और अध्ययन हो रहे हैं लेकिन चूंकि इस बीमारी को आए ज्यादा समय नहीं हुआ है तो इसके परिणाम आने में समय लगेगा. उसी के बाद देखा जाएगा कि अगर कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज या बूस्टर डोज भी लगाने के बाद इम्यूनिटी थोड़े समय के लिए बन रही है, जैसे 6 महीने या 1 साल तक रह रही है और वायरस एंडेमिक हो रहा है यानि पूरी तरह खत्म नहीं होता, बना रहता है और लोगों को संक्रमित करता रहता है तो ऐसी स्थिति में हर साल वैक्सीन लगाने की जरूरत पड़ सकती है लेकिन फिलहाल ऐसा कुछ भी नहीं कह सकते. अभी इस संबंध में कोई बातचीत नहीं हो रही.
डॉ. अरुण कहते हैं कि सिर्फ भारत ही नहीं अन्य देशों में भी देखें तो वहां बूस्टर डोज लगने के बाद कोरोना में काफी नियंत्रण की स्थिति पैदा हुई है. हालांकि बूस्टर डोज के बाद भी उन देशों में चौथी और पांचवी लहर आई लेकिन मृत्युदर पर काफी नियंत्रण रहा. कोरोना वैक्सीनेशन को लेकर भी यही कहा गया है कि वैक्सीन संक्रमण को नहीं रोकती लेकिन संक्रमण के प्रभाव को हल्का करती है. गंभीर संक्रमण होने से रोकती है और इस बीमारी से मौतों को कम करती है. यही देखा भी गया है.
डॉ. कहते हैं कि जहां तक बच्चों के नियमित टीकाकरण कार्यक्रम में इस वैक्सीन के शामिल होने का सवाल है तो अभी सभी बच्चों के लिए पहले कोरोना की वैक्सीन के ट्रायल पूरे हो जाएं और लगाने के लिए मंजूरी मिल जाए, उसके बाद भी कोरोना की स्थिति देखी जाएगी, जैसा कि पहले ही बताया है कि अगर यह एंडेमिक हुई और वैक्सीन निर्मित इम्यूनिटी कुछ निश्चित समय के लिए हुई, तब जाकर इसे टीकाकरण में शामिल करने पर विचार हो सकता है. अभी इस पर कुछ भी कहना जल्दबाजी है.