बाराबंकी। बाराबंकी सीट पर अभी तक मतदाता हर दल को मौका दे चुके हैं। इस बार भाजपा ने प्रत्याशी घोषित करने के बाद बदला है। हालांकि, कहा जा रहा है कि चुनाव का परिणाम कुछ भी हो पर बाराबंकी जिला इस बार सियासत की नई इबारत लिखेगा।
राजधानी लखनऊ के सबसे करीबी लोकसभा क्षेत्र बाराबंकी में होने जा रहे चुनाव इस बार सियासत की नई इबारत लिखेंगे। कांग्रेस अपने स्वर्णिम इतिहास और सपा अपने मजबूत गढ़ के नाते एक साथ होकर भाजपा को कड़ी चुनौती देने में लगी है वहीं पिछले चुनाव में कांग्रेस और सपा के कुल वोटों से ज्यादा भाजपा के वोट थे। चुनाव का परिणाम कुछ भी हो मगर दो ही चीज होगी या तो गठबंधन बनवास तोड़ेगा या फिर बाराबंकी के मतदाता नया इतिहास रचेंगे।
1952 से 2019 तक यह सीट कई दलों के कब्जे में रही। अब तक कुल 17 बार चुनाव हुए हैं। कांग्रेस पांच बार, सपा तीन बार, भाजपा तीन बार, सोशलिस्ट पार्टी दो बार, एक बार निर्दल और एक बार बसपा का सांसद चुना गया लेकिन 2014 में भाजपा से प्रियंका सिंह रावत और 2019 में भी भाजपा के ही उपेंद्र सिंह रावत सांसद चुने गए।
2019 के चुनाव में सपा प्रत्याशी रामसागर रावत को 37.14 प्रतिशत अर्थात चार लाख 25 हजार 777 वोट मिले थे। जबकि कांग्रेस के तनुज पुनिया को 13.92 प्रतिशत के साथ एक लाख 59 हजार 611 मत मिले। लेकिन तब गठबंधन के कारण सपा के वोट में बसपा का भी वोट शामिल रहा है। तब जाकर कुल वोट 585388 वोट हुए होते है। जबकि भाजपा के उपेंद्र को अकेले 535917 वोट मिले थे। तभी तो भाजपा हैट्रिक लगाने के लिए अपना वोट प्रतिशत 50 से ऊपर ले जाने की गणित बिठा रही है। जबकि सपा और कांग्रेस मिलकर बनवास खत्म करना चाहते है।
वीडियो वायरल होने के बाद भाजपा को प्रत्याशी बदलना पड़ा है और लगातार तीन बार जीत कर इतिहास भी रचना चाहती है। साफ जाहिर है कि चुनौती तीनों दल के सामने है।