कोरोना वायरस के ओमिक्रॉन वेरिएंट पर वैक्सीन के असर को लेकर बहस जारी है. फॉर्मा कंपनी मॉडर्ना के बाद अब यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड ने कहा है कि इस बात के कोई सबूत नहीं है कि कोविड-19 वैक्सीन की मदद से ओमिक्रॉन वेरिएंट से होने वाली गंभीर बीमारियों को रोकने में मदद मिलेगी. अगर जरुरत लगी तो एस्ट्राजेनेका इस वेरिएंट से लड़ने के लिए अपडेटेड वैक्सीन को विकसित कर सकती है. इससे पहले मॉडर्ना के चीफ ने कहा था कि कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन के खिलाफ मौजूदा कोविड-19 वैक्सीन प्रभावशाली रहने की संभावना कम है. इस बयान के बाद ग्लोबल मार्केट बुरी तरह टूट गए थे.

पिछले सप्ताह यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड ने कहा था कि ओमिक्रॉन वेरिएंट को लेकर अभी सीमित डाटा है और हम इस पर वैक्सीन के प्रभाव की बारीकी से जांच करेंगे. एस्ट्राजेनेका की ओर से जारी बयान में कहा गया कि पिछले एक साल में कोरोना वायरस के नए वेरिएंट्स की उपस्थिति के बावजूद वैक्सीन ने लगातार गंभीर बीमारियों से बेहतर सुरक्षा प्रदान की है लेकिन अब तक ऐसा कोई सबूत नहीं है कि जिससे यह माना जाए कि ओमिक्रॉन वेरिएंट कुछ अलग है. हालांकि अगर नई वैक्सीन की आवश्यकता महसूस हुई तो हमारे पास सभी जरूरी संसाधन और प्रक्रिया है जिसकी मदद से अपडेटेड कोविड-19 वैक्सीन को विकसित किया जा सकता है.

वहीं 2 दिन पहले मॉडर्ना के चीफ मेडिकल ऑफिसर पॉल बर्टन ने भी कहा कि, उन्हें संदेह है कि मौजूदा कोरोना वैक्सीन ओमिक्रॉन वेरिएंट पर प्रभावी होगी. अगर हमें नई वैक्सीन जरूरत महसूस हुई तो, मौजूदा टीकों में सुधार करके यह इन्हें अगले साल 2022 में बड़ी संख्या में उपलब्ध कराया जा सकता है. ब्लूमबर्ग के अनुसार, पॉल बर्टन ने बताया कि मॉडर्ना ओमिक्रॉन वेरिएंट के खिलाफ मौजूदा वैक्सीन के प्रभाव की जांच कर रही है.

बता दें कि साउथ अफ्रीका में कोरोना वायरस का ओमिक्रॉन वेरिएंट मिलने के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चेतावनी देते हुए इसे गंभीर वेरिएंट बताया था. इसके बाद विश्व के तमाम देशों में कोविड नियमों में सख्ती बढ़ा दी गई.