भिवानी। किसानों पर लगातार वायरस की मार पड़ रही है कोरोना महामारी से अभी उभरे ही नहीं थे कि पशुओं में तेजी से फैल रही लंपी स्किन बीमारी के रोकथाम के लिए प्रयास कर रहे किसानों पर प्रकृति की एक और मार पड़ी अब मूंग की फसल में भी पीला मोजक वायरस तेजी से फैल रहा है। इस समय ढिगावा मंडी क्षेत्र के आसपास के गांवों में खरीफ की फसल में रोग लगने से किसान परेशान हैं।

किसानों का कहना है की मूंग की फसल को पीला मोजेक रोग ने अपनी चपेट में ले लिया है। पहले से ही किसान प्राकृतिक आपदाओं की मार झेलते आ रहे हैं। अब किसानों को कर्ज चुकाने की चिता सताने लगी है। अशोका अमीरवास, कुलदीप, बिजेंद्र, संदीप श्योराण, जय भगवान, रतन सिंह, सुरेश मनफरा आदि किसानों का कहना है पिछले कई दिनों से बारिश न होने के कारण और अब पीला मोजक वायरस के प्रकोप से मूंग की फसल सूख रही है। यह रोग फसलों के लिए काफी नुकसान दायक है। इसमें पौधे पहले लाल होते हैं, फिर इसके बाद फूल व फलियां सूखकर गिर जाती हैं। किसानों ने प्रशासन से फसलों का सर्वे कराकर राहत राशि दिलावाने की मांग की है।

मूंग की फसल में पीला मोजक वायरस का संचारण सफेद मक्खी द्वारा होता है। यह सफेद पंख व पीले शरीर वाली छोटी मक्खी 1 मिली मीटर से भी छोटी होती है। सफेद मक्खी वायरस स्थानांतरण द्वारा बीमारी फैला रही है। भीषण गर्मी मे सफेद मक्खी मूंग फसल के हरे पत्तों का रस चूसने आती है। रस चूसने के बाद पत्ते पर मोजेक वायरस छोड़ जाती है। जिससे पत्ते पीले होकर सूखकर गिर जाते हैं। इससे फसल की पैदावार पर 50 सें 60 फीसदी तक नुकसान होता है। हालांकि कृषि अधिकारी क्षेत्र में भ्रमण करते हुए किसानों को पीला मोजेक वायरल बीमारी से फसल को बचाने के उपाय बता रहे हैं।

यह एक वायरस है। पीला मोजक रोग में पत्तियां सिकुड़ने लगती हैं और उनपर फफोले पड़ने लगते हैं। ऐसे में पौधों का विकास भी रुक जाता है। इसके अलावा रसचूसक कीट या थ्रिप्स कहलाने वाले कीट मूंग के पौधों का रस चूसकर उन्हें नुकसान पहुंचाते हैं। इसके प्रकोप से पौधे पीले, कमजोर हो जाते हैं। उनमें विकार भी आ जाता है।

वरिष्ठ कृषि अधिकारी डॉ चंद्रभान श्योराण ने बताया कि पीला मोजक वायरस सफेद मक्खी द्वारा फैलाया जाने वाला एक वायरल रोग जो आमतौर पर मूंग फसल में देखा जाता है। रोग ग्रस्त पौधों पर अनियमित पीले और हरे रंग के धब्बे बन जाते हैं। संक्रमित पौधों पर फलियां नहीं लगती अथवा अगर लगती हैं तो एकाध ही लग पाती है। सफेद मक्खी को नियंत्रित करके ही कुछ हद तक फसल को बचाया जा सकता है। जेमिनिविरीदे परिवार ये प्लांट पैथोजेनिक वायरस बहुत ही खतरनाक और जल्दी फैलनेवाला होता है और इसको एक पौधे से दूसरे पौधे तथा एक खेत से दूसरे खेत में फैलाने में सफेद मक्खी का मतत्वपूर्ण सहयोग रहता है।