मेरठ. एटीएस सेंटर बनने से मेरठ वेस्ट यूपी में सुरक्षा के तौर पर और भी बड़ा हब बन जाएगा। इससे पहले वेस्ट यूपी के सहारनपुर में एटीएस सेंटर बनाये जाने का काम चल रहा है। मेरठ में सुरक्षा की बात करें तो यहां पुलिस ट्रेनिंग सेंटर, पीएसी की दो बटालियन स्थापित हैं। साथ ही रैपिड एक्शन फोर्स की बटालियन पहले से स्थापित है।
वेस्ट यूपी में सबसे संवेदनशील है मेरठ
वेस्ट यूपी में मेरठ सबसे संवेदनशील है। शिक्षा, खेल इंडस्ट्री, पावरलूम, बैंड बाजे के सामान के लिए पहले से मेरठ का विदेशों तक नाम है। 1857 की क्रांति की शुरूआत इसी मेरठ शहर से हुई थी। इसलिए ही मेरठ को को प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का उद्गम स्थल के लिए भी जाना जाता है।
मेरठ में पुलिस लाइन के अलावा, हापुड़ रोड पर पीटीएस भी स्थापित है। हापुड़ रोड पर 44 वी वाहिनी पीएसी, रुड़की रोड पर छठी वाहिनी पीएसी के अलावा आएएफ की 108 वी वाहिनी भी स्थापित है।
दंगा नियंत्रण का अकेला एक मात्र संस्थान
रैपिड एक्शन फोर्स केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल की विंग है। मेरठ में पिछले साढे 3 दशक से वेदव्यासपुरी में आरएएफ की वाहिनी स्थापित है। नीली वर्दी पहनकर शांति का संदेश देनी वाली आरएएफ यहां से यूपी, उत्तराखंड दिल्ली व दूसरे राज्यों में भी भेजी जाती है। 2019 में आरएएफ बटालियन के पास रैपिड एक्शन फोर्स का दंगा नियंत्रण केंद्र को भी गृह मंत्रालय ने अनुमति दी। यहां देश के राज्यों की पुलिस बल, के अलावा विदेशों के ऑफिसर्स व जवानों को भी दंगा नियंत्रण और भीड़ हिंसा का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। यह देश का एक मात्र सेंटर है जो दंगा नियंत्रण पर प्रशिक्षण दे रहा है।
एटीएस सेंटर से यह होगा फायदा
एंटी टेररिज्म स्कवाॅड का मेरठ में सेंटर स्थापित होने के बाद यहां सुरक्षा के तौर पर मजबूती मिलेगी। दिल्ली से सटे होने के कारण वेस्ट यूपी में मेरठ में इस सेंटर की सबसे ज्यादा जरूरत है। पिछले 22 साल में मेरठ और आसपास के जिलों से इंटेलिजेंस द्वारा आतंकी गतिविधियों से जुड़े 24 लोगों को गिरफ्तार किया जा जा चुका है। बड़े वीआईपी कार्यक्रमों, कांवड़ यात्रा के लिए एटीएस लखनऊ से आती है। आतंकवादी गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए मेरठ, बहराइच, कानपुर, रामपुर और आजमगढ़ में एटीएस के नये सेंटर खोले जाएंगे।