लखनऊ. उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम अब रूरल मेट्रो बस (गांव से महानगर) चलाने की तैयारी में जुटा है। योगी सरकार की रूरल मेट्रो अखिलेश सरकार की लोहिया ग्रामीण बस सेवा को टक्कर देगी। मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने निगम की साधारण सेवा की 1500 रूरल मेट्रो बसों की खरीद के प्रस्ताव पर मुहर लगा दी है। ग्रामीणों को मेट्रो बस की सुविधा छह से नौ माह के भीतर उपलब्ध करा दी जाएगी।

रूरल मेट्रो की बसों का संचालन तीन चरण में होगा। पहले चरण में रूरल मेट्रो की 900 बसें एनसीआर व आसपास के जिलों के ग्रामीण अंचलों से दिल्ली के लिए चलेंगी। दूसरे चरण में 300 बसें बुंदेलखंड और तीसरे चरण में 300 बसें पूर्वांचल के जिलों के गांव-गांव होकर चलेंगी। बुंदेलखंड और पूर्वांचल की बसों का लखनऊ से भी कनेक्टिविटी होगा।

इन बसों के संचालन से ग्रामीणों का दिल्ली, झांसी, प्रयागराज, वाराणसी, गोरखपुर और लखनऊ आवागमन सुगम होगा। यानी ग्रामीणों को गांव व कस्बे से चलकर शहर के बस अड्डे तक आना नहीं पड़ेगा। इतना ही नहीं रूरल मेट्रो बसों से सफर करने के लिए ग्रामीणों को अन्य बसों के मुकाबले किराया भी कम देना होगा। मेट्रो बसों की खरीद पर लगभग 745 करोड़ खर्च होंगे। इन बसों में डीजल की खपत कम होगी और इनके रखरखाव के लिए प्रत्येक परिक्षेत्र में डेडिकेटेड डिपो भी खोला जाएगा।

हर दिन हो रहा दो लाख लोगों का आवागमन
परिवहन निगम के सर्वे के मुताबिक बरेली, पीलीभीत, बदायूं, रामपुर, मुरादाबाद, मेरठ, बड़ौत, शामली, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, बुलंदशहर, आगरा, अलीगढ़ आदि जिलों के गांवों से हर दिन औसतन दो लाख लोग दिल्ली आते-जाते हैं। इनमें ज्यादातर रोजी-रोटी कमाने और बीमारी का इलाज कराने वाले शामिल हैं।

प्रदेश के लगभग 12,204 गांव बस सुविधा से वंचित हैं। ग्रामीणों की सुविधा के लिए रूरल मेट्रो बस का संचालन की तैयारी चल रही है। बस की चेसिस खरीदने के लिए शासन से आर्थिक मदद मांगी गई है।