नई दिल्ली. आजकल हमारा पूरा दिन शोरगुल में ही बीत जाता है. हमारे चारों तरफ के वातावरण में इतनी ध्वनि है कि यह हमारी कब हमारी दिनचर्या का हिस्सा बन जाती हैं, हम समझ ही नहीं पाते. फिर चाहे ट्रैफिक में गाड़ियों की हॉर्न है या पब्लिक प्लेस पर संगीत. ऐसे में लाइफस्टाइल में तेजी से बदलाव हो रहा है. मानसिक रुप से शांति नहीं मिल पा रही और कई तरह की बीमारियां हमें घेर रही हैं. इससे बचने का सबसे आसान उपाय है मौन. अध्यात्म में भी मौन को सेहत के लिए काफी अच्छा साधन बताया गया है. विज्ञान भी मानता है कि शोर से सेहत पर पड़ने वाले प्रभाव से बचाने मौन काफी कारगर है.
कई रिसर्च और विशेषज्ञों के मुताबिक, अगर हम शोर-शराबे से कुछ पल के लिए शांति ढूंढ लेते हैं तो यह हमारे सेहत को काफी लाभ पहुंचा सकता है. अगर शांति है तो खालीपन की स्थिति बन सकी है. मतलब आवाज का न होना. आवाज का कम होना या न होना हमारे शरीर, दिमाग और मिजाज के स्तर को काफी राहत दे सकता है. इससे कई फायदे भी हैं…
हमारे आसपास अगर शोर-गुल का वातावरण है तो कभी-कभी हम तनाव की स्थिति में पहुंच जाते हैं. ऐसे में अगर शांति वाली जगह चला जाया जाए या फिर मौन रहा जाए तो यह तनाव के लिए जिम्मेदार हार्मोन कॉर्टिसॉल को कम कर देता है. मौन रहने से हमारी क्रिएटिविटी भी बढ़ती है और किसी भी समस्या का समाधान भी हम जल्दी से खोज लेते हैं. मौन रहने से अच्छी नींद आती है और तनाव नहीं होता.
अगर किसी को उच्च रक्तचाप की समस्या है तो मौन उसके लिए किसी वरदान से कम नहीं. साल 2006 में हुए एक स्टडी में पाया गया था कि गाना सुनने के बाद अगर दो मिनट का ब्रेक लिया जाए तो उसके बाद की शांति से दिल की धड़कन की दर और ब्लड प्रेशर कम हो जाता है. अगर म्यूजिक कम आवाज में है तो उसकी तुलना में भी शांति दिल के लिए काफी लाभदायक होता है.
घर में परीक्षा के दौरान अक्सर बड़े-बुजुर्ग कहा करते थे कि शांति में पढ़ाई करो. इसका मतलब यह होता था कि आप ऐसी जगह पढ़ाई करें, जहां शोरगुल न हो. इससे आपकी एकाग्रता बनी रहती थी. अगर हम शांति में काम करते हैं तो हमारा दिमाग तेजी से काम करता है और काम को बेहतर तरीके से पूरा कर पाता है. इसलिए मौन या शांति का होना काफी फायदेमंद हो सकता है.
दिनभर की भागदौड़ और वर्क प्रेशर की वजह से हमारे दिमाग में अनगिनत विचार दौड़ लगाते रहते हैं. कई बार उन्हें हम रोकने की भी कोशिश करते हैं लेकिन वे काबू में नहीं आ पाते. ऐसे में अगर हम शांत वातावरण में जाएं, जहां कुछ पल मौन रहने का वक्त मिले. तो यह हमारी ऊर्जा को बचाकर ऐसे विचारों को रोकने में मदद करता है. मौन हमें हमेशा वर्तमान में रहने में मदद करता है.
साल 2013 में हुए एक स्टडी में पाया गया कि कुछ चूहों को दो घंटे की शांति में रखने के बाद उनके हिप्पोकैम्पस में नई कोशिकाओं का विकास होने लगा था. इन कोशिकाओं का संबंध याद्दाश्त और भावनाओं से होता है. इस स्टडी के मुताबिक, मौन रहना हमारे मस्तिष्क का विकास करता है और कई तरह से फायदा पहुंचाता है.