नई दिल्ली: भारत में मूली की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है. इसकी फसल साल में कभी भी की जा सकती है. लेकिन यह ज्यादातर सर्दियों के मौसम में बाजार में देखी जाती है. मूली की कई अलग-अलग किस्में होती हैं, जो लाल, सफेद आदि रंगों की होती हैं.
इनका इस्तेमाल सब्जी बनाने में बहुत किया जाता है और आप इन्हें सीधे भी खा सकते हैं.
इनके अलावा इनमें अच्छी मात्रा में विटामिन भी मौजूद होते हैं. इनका सेवन करने से सेहत को भी कई फायदे मिलते हैं. साथ ही बाजार में इनकी मांग भी अधिक रहती है, जिससे किसान अच्छा खासा मुनाफा कमा सकते है.
मुनाफा करीब एक फसल पर 60 से 70 हजार रुपए तक हो जाती है.इसकी खेती करने के लिए सबसे पहले खेत की गहरी जुताई की जाती है. फिर खेत को बराबर करके उसमे मूली के बीजों की बुवाई की जाती है. वहीं, जब इसका पौधा निकल आता है तो करीब एक हफ्ते बाद इसकी सिंचाई की जाती है. फिर वही मूली की फसल 50 से 55 दिनों मे तैयार हो जाती है, जिसको तोड़कर बाजारों मे बेच सकते है.
खास बात ये है इसकी डिमांड बाजारों मे हमेशा बनी रहती है. जिससे अन्य मूली के मुकाबले थोड़ी महंगी रहती है. इस खेती में लागत देखि जाये तो बेहद कम है और मुनाफा कई अधिक है. इस खेती में लागत की बात करें तो एक बीघे में दो हजार रुपए आती है.
मूली की खेती करने वाले युवा किसान चमन मिश्रा ने लोकल 18 से बातचीत में बताया, वैसे तो मै सब्जियों की खेती कई सालो से कर रहा हूं. इस समय हमारे पास करीब दो बीघे में मूली लगी हुई है, जो दो प्रकार की है. एक देसी एक हाइब्रिड देशी मूली.
बाराबंकी जिले के बेहरारा गांव के रहने वाले युवा किसान चमन मिश्रा मूली की खेती कर लागत के हिसाब से उन्हें अच्छा मुनाफा मिल रहा है, जिसके लिए वह कई सालों से मूली की खेती कर एक फसल पर 60 से 70 हजार रुपए तक का मुनाफा कमा रहे हैं.
मूली वैसे एक कम समय की फसल है, इसलिए अच्छे जल निकास वाली उपजाऊ रेतीली भुरभुरी मिट्टी इसके लिए उचित मानी जाती है. इससे पैदावार भी अच्छी होती है. फसल की वृद्धि के लिए सिंचाई का उचित प्रबंधन भी होना चाहिए.