चंडीगढ़। चंडीगढ़ के सेक्टर-37 और 38 में चार घंटे के अंतराल में यूपीएससी की तैयारी कर रहे एक युवक और युवती ने फंदे से लटक कर जान दे दी। पुलिस की शुरुआती जांच में पता चला है कि दोनों यूपीएससी की परीक्षा में सफल नहीं हो सके थे। यह उनका आखिरी मौका था। आशंका है कि इसी से परेशान होकर मूलरूप से हरियाणा के सोनीपत निवासी अंकित चहल (30) और सेक्टर-38 निवासी सिमरन (29) ने खुदकुशी कर ली। 

सेक्टर-39 थाना पुलिस ने दोनों ही मामलों में सीआरपीसी की धारा 174 के तहत कार्रवाई कर मामले की जांच शुरू कर दी है। वहीं, पुलिस इस बात की भी जांच कर रही है कि दोनों घटनाओं के बीच कोई संबंध तो नहीं है। शुक्रवार दोपहर करीब डेढ़ बजे पुलिस को सूचना मिली कि सेक्टर-37/सी के मकान नंबर-2413 के सबसे ऊपरी तल पर एक युवक ने फंदा लगा लिया है। 

सूचना पर पहुंची पुलिस ने चादर के फंदे से लटके युवक को नीचे उतारकर जीएमएसएच-16 पहुंचाया, जहां डॉक्टरों ने युवक को मृत घोषित कर दिया। मौके से पुलिस को कोई सुसाइड नोट नहीं मिला। पुलिस की जांच में सामने आया कि अंकित चहल सेक्टर-37/सी के मकान में बीते करीब चार वर्षों से किराए पर रह रहा था। यूपीएससी की परीक्षाओं में असफल रहने के कारण अंकित मानसिक तौर पर परेशान था। 

शुक्रवार दोपहर अंकित का चचेरा भाई उससे मिलने पहुंचा तब घटना की जानकारी हुई। वहीं, परिजनों के बयान पर पुलिस मानकर चल रही है कि मानसिक दबाव के कारण अंकित ने आत्महत्या की है। उधर, सेक्टर-38/डी के मकान नंबर-3482 में सिमरन (30) अपनी मां और भाई की साथ रहती थीं। सिमरन भी यूपीएसपी की तैयारी कर रही थीं। अपने अंतिम प्रयास में वह साक्षात्कार तक पहुंच गई थीं लेकिन पास नहीं होने पर दिल्ली में नौकरी करने चली गईं। 

वहां भी तनाव में रहने के कारण वापस आ गई थीं। शुक्रवार शाम भाई और मां बाजार गए थे। शाम साढ़े पांच बजे वापस लौटने पर देखा कि सिमरन चुन्नी के सहारे फंदे पर लटकी हुई थी। पुलिस को सूचना देने के बाद सिमरन को सेक्टर-16 अस्पताल ले जाया गया। जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। फिलहाल दोनों के शवों का कोरोना जांच के बाद पोस्टमार्टम होगा। उसके बाद शव पुलिस को सौंपा जाएगा।

पुलिस जांच में सामने आया कि अंकित अपने माता-पिता का इकलौता बेटा था। उसके पिता सोनीपत में जमींदार हैं। अंकित तीन बार यूपीएससी के साक्षात्कार तक पहुंचा था लेकिन सभी में असफल रहा। पिछले कुछ दिनों से अंकित अपने पिता को फोन पर यह कहता था कि वह यूपीएससी इंटरव्यू में फेल हो चुका है, ऐसे में अब वह मानसिक तनाव से जूझ रहा है। इस पर उसके पिता उसे घर लौटने को कह रहे थे। इसके लिए उन्होंने अपने भाई के बेटे को अंकित से मिलने चंडीगढ़ भेजा था ताकि वह उसे समझा सके।

इस मामले में आईएएस एके सिंगला (सेवानिवृत्त) का कहना है कि यूपीएससी की तैयारी कर रहे अभ्यर्थियों द्वारा ये समझ लेना कि यूपीएससी ही सबकुछ है, यही सोच युवाओं की जान ले रही है। यूपीएससी की परीक्षा कठिन होती है, ये बात सच है लेकिन उसी को जिंदगी मान बैठना बिल्कुल भी ठीक नही। जिंदगी में कई मौके होते हैं, यह बात हम इन बच्चों को समझा पाने में असफल हो रहे हैं। कई प्रयास के बाद भी चयन नहीं होने के बाद समाज, दोस्त व परिवार का दबाव इस कदर बढ़ जाता है कि विद्यार्थी ऐसे कदम उठा लेते हैं। ऐसे में लगातार असफल होने वाले बच्चों से बात करते रहना बहुत जरूरी है।

मैक्स अस्पताल के मनोचिकित्सक डॉ. सतीश ने बताया कि किसी भी व्यक्ति को दुख से बाहर निकालने या आत्महत्या जैसे आत्मघाती कदम से बचाने का तरीका है कि परिवारजन या दोस्त उसके व्यवहार पर नजर रखें। अगर कोई भी घटना होने पर व्यक्ति के व्यवहार में बदलाव आता है, जैसे- वह खाना न खाए, कम बोले तो सतर्क हो जाएं। उसके साथ समय बिताएं, उसे समझें और उसकी मदद करें। प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे उम्मीदवारों पर सामाजिक दबाव बहुत होता है, इसलिए उसके करीबी उसे इस चीज का हमेशा ध्यान करवाते रहें कि कोई भी परीक्षा या दुख आदमी के जीवन से बड़ा नहीं होता। एक समय बाद सब ठीक हो जाता है।