कानपुर/मुजफ्फरनगर/बागपत। क्राइम ब्रांच कानपुर और बागपत व मुजफ्फरनगर के औषधि विभाग की टीम ने नकली दवा का काम करने वाले पांच और कारोबारियों को क्राइम ब्रांच ने धर दबोचा है। तीन आरोपी मुजफ्फरनगर तो दो कारोबारी बागपत के रहने वाले हैं। पुलिस ने आरोपियों के पास से भारी मात्रा में नकली दवाइयां, दवा पैक करने वाली एल्युमीनियम स्ट्रिप, एल्युमीनियम रोल, एमआरपी व एक्सपायरी प्रिंट करने वाली मुहर आदि बरामद की हैं।

प्राप्त जानकारी के मुताबिक मुजफ्फरनगर में गिरफ्तार आरोपियों के नाम बलराज गर्ग निवासी सिविल लाइन, महमूदनगर निवासी मुरसलीन उर्फ मुन्ना और सहदेश निवासी बिलासपुर है। बागपत से सिंघावली निवासी गफ्फर और बालैनी निवासी सुरेंद्र को गिरफ्तार किया गया है। एडीसीपी कानपुर दीपक भूकर ने बताया कि क्राइम ब्रांच और गोविंदनगर थाने की संयुक्त टीम ने 21 जून को दबौली टेंपो स्टैंड के पास से दो आरोपियों को नकली दवाइयों के साथ गिरफ्तार किया था। ये लोग दवाओं में चॉक और नमक का इस्तेमाल करते थे और इंजेक्शन में ग्लूकोज का पानी मिलाकर बेचते थे। पूछताछ के आधार पर आठ और आरोपियों को जेल भेजा गया। लखनऊ से पकड़े गए सरगना मनीष मिश्रा से पूछताछ के बाद मुजफ्फरनगर और बागपत में भी इन लोगों का कनेक्शन होने की बात सामने आई। जिसके बाद रविवार रात मुजफ्फरनगर और बागपत में कार्रवाई की गई। आरोपियों को संबंधित थानों की पुलिस के हवाले कर दिया गया है।

प्रतीकात्मक चित्र

कानपुर में एडीसीपी ने बताया कि बलराज नकली दवाओं का बड़ा कारोबारी है। उसके कनेक्शन लखनऊ, कानपुर, रुड़की, प्रयागराज, वाराणसी, गोरखपुर के अलावा बागपत में भी हैं। बलराज लखनऊ के मनीष मिश्रा के भी संपर्क में था। ये लोग व्हाट्सएप कॉलिंग व चैटिंग से बात करते थे। एडीसीपी ने बताया कि नकली दवाइयां पकड़े जाने के बाद ड्रग इंस्पेक्टर को भी बुलाया गया था। ड्रग इंस्पेक्टर की टीम ने जब दवाइयों की जांच की तो सभी नकली निकलीं। पुलिस के मुताबिक ये लोग ऐसी दवाएं बनाते थे, जो मार्केट में जल्दी खप जाएं।

नकली दवाओं के अवैध कारोबार के खुलासे से कई बडे सवाल खड़े हो गए है। मुजफ्फरनगर में नकली दवाएं बनाकर प्रदेश भर में भेजी जा रही थी। इससे पहले मुजफ्फरनगर में ही एक्सपायर हो चुकी दवाओं की तारीख बदलकर बेचने का भी मामला भी सामने आया था। अब आयुर्वेदिक दवाओं के लाइसेंस पर नकली एलोपैथिक दवा बनाने का नया मामला सामने आया है।

नई मंडी कोतवाली क्षेत्र के गांव बिलासपुर निवासी सहदेश के पास आयुर्वेदिक दवाइयां बनाने का लाइसेंस है, लेकिन इसकी आड़ में यहां बहुत बड़े पैमाने पर नकली एलोपैथिक दवाइयां बनाईं जा रहीं थीं। इनमें कई अन्य बड़ी-बड़ी कंपनियों की महंगी दवाइयां भी शामिल हैं। कुछ ऐसी दवाएं भी हैं, जो नारकोटिक्स एक्ट के दायरे में आती हैं। सहदेश के यहां ही दवाइयों का निर्माण करते हुए उनकी पैकिंग भी की जाती थी। इसके लिए आरोपी ने अपने घर पर करीब 80 लाख रुपये कीमत की अत्याधुनिक मशीनें लगाईं हुईं थीं।

इन सभी मशीनों को सीज करते हुए करीब दो लाख रुपये कीमत की तैयार दवाइयां कब्जे में ले ली गईं हैं। इसके अलावा महमूदनगर निवासी मुरसलीन के यहां केवल विभिन्न कंपनियों के कैप्सूल बनाए जाते थे। इसके यहां से इससे संबंधित दो मशीनें और करीब चार लाख रुपये कीमत की दवाइयां बरामद की गईं हैं। मुरसलीन के पास किसी तरह का कोई लाइसेंस नहीं है। इसकी दोनों मशीनें व करीब चार लाख रुपये कीमत की दवाइयां जब्त कर ली गईं हैं। जिला औषधि निरीक्षक लवकुश प्रसाद ने बताया कि बरामद सभी दवाइयों के सैंपल लेकर जांच के लिए भेजे गए हैं। वहां से दवाइयों की जांच रिपोर्ट आने के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा, कि आरोपी किस-किस कंपनी की नकली दवाइयां बना रहे थे।

शहर व इसके आसपास इतने बड़े पैमाने पर नकली दवाइयां बनतीं रहीं, लेकिन पुलिस-प्रशासन और औषधि विभाग को इसकी भनक तक नहीं लग पाई। अब तक गिरोह के तीन सदस्य चिह्नित कर धरे जा चुके हैं, जबकि अन्य की तलाश में टीम ने अभी जनपद में ही डेरा डाला हुआ है। पूरे प्रदेश के साथ रुड़की उत्तराखंड तक इस रैकेट के तार जुड़े हुए हैं।

जिला औषधि निरीक्षक मुजफ्फरनगर लवकुश प्रसाद ने मीडिया को बताया कि आयुर्वेदिक की आड़ में नकली ऐलोपैथिक दवाइयां बनाने वाला गांव बिलासपुर निवासी सहदेश और महमूदनगर का मुरसलीन अपने घरों में नकली दवाइयां पैक करते थे। इसके बाद तैयार माल को आर्यसमाज रोड निवासी बलराज गर्ग ले जाता था, जो पूरे प्रदेश के विभिन्न जनपदों में इन्हें सप्लाई करता था। टीम अब इस गिरोह से जुड़े अन्य लोगों को चिह्नित कर उनकी धरपकड़ के प्रयास में जुट गई है। बलराज नकली दवाओं का बड़ा कारोबारी है। उसके कनेक्शन लखनऊ, कानपुर, रुड़की, प्रयागराज, वाराणसी, गोरखपुर के अलावा बागपत में भी हैं। बलराज लखनऊ के मनीष मिश्रा के भी संपर्क में था। ये लोग व्हाट्सएप कॉलिंग व चैटिंग से बात करते थे। पुलिस ने आरोपियों के मोबाइल कब्जे में लिए हैं। कॉल डिटेल व चैटिंग के जरिये गिरोह के अन्य सदस्यों को तलाश में जुटी है।

इससे पहले गांव शेरनगर में इनाम केे घर से बहुत बड़े पैमाने पर एक्सपायर दवाइयों का जखीरा भी बरामद किया गया था। इसमें एक्सपायर दवाइयों की डेट मिटाने के बाद उस पर फिर से नई तिथि डालकर उन्हें देहात क्षेत्र में सप्लाई किया जा रहा था। एक पखवाड़े के भीतर नकली दवाइयों के दूसरे खुलासे से पुलिस-प्रशासन में भी हड़कंप मचा हुआ है। जनपद पुलिस-प्रशासन और औषधि विभाग नकली दवाइयों के कारोबार को लेकर कितना सजग है, इसका अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि शेरनगर में एक्सपायर दवा प्रकरण को एक पखवाड़े से अधिक समय बीतने के बावजूद अब तक यह पता नहीं चला है कि आखिरकार आरोपी इनाम एक्सपायर दवाइयों को कहां से लेकर आता था और इन्हें नई तिथि अंकित करने के बाद कहां-कहां सप्लाई करता था।

बागपत में अमीनगर सराय मोड़ पर महंगी एंटीबायोटिक और दर्द निवारक नकली दवाई तैयार कर मार्केट में पिछले दो माह से सप्लाई की जा रही थी। खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग को भनक तक नहीं लगी। कई सवाल भी उठ रहे हैं। क्राइम ब्रांच कानपुर कहना है कि कानपुर में पकड़े आरोपियों से पूछताछ के बाद मुजफ्फरनगर में तीन और बागपत में दो लोगों को गिरफ्तार करने की कार्रवाई की गई। औषधि विभाग व स्थानीय पुलिस सुरेंद्र की ही गिरफ्तारी की बात कह रहा है और दूसरे गफ्फार को फरार बता रहे हैं। जबकि औषधि विभाग का कहना है कि व्यापारियों की शिकायत यह कार्रवाई की गई। गिरोह नकली महंगी एंटीबायोटिक और दर्द निवारक तैयार कर सप्लाई करता था।

लेकिन घटिया क्वालिटी की गोलियों की पोल दवा व्यापारियों के सामने खुल गई। जिस पर उन्होंने अधिकारियों से इसकी शिकायत की। दरअसल कुछ समय बाद गोलियां पैकिंग में ही टूटने लगी। ब्रांडेड कंपनी की गोलियां टूटने पर स्टोर संचालकों को शक हो गया। रविवार की रात अफसरों ने छापामारी कर नकली दवाई तैयार कर सप्लाई करने वाले गिरोह का खुलासा कर दिया। बताया गया कि जो दवाई बरामद हुई है वह महंगी एंटीबायोटिक और दर्द निवारक हैं। ड्रग इंस्पेक्टर वैभव बब्बर का कहना है कि मकान में एक माह पूर्व फैक्ट्री लगाई गई थी। फिलहाल टेबलेट पैकिंग करने का ट्रायल किया जा रहा था। मार्केट में अभी दवाई सप्लाई नहीं की गई थी।

सुरेंद्र ने बताया बागपत में कई लोग इस कारोबार में जुड़े हैं। ये घरों में ही नकली दवा तैयार कर आर्डर पर माल की सप्लाई करते हैं। पुलिस सुरेंद्र और गफ्फार की निशानदेही पर बागपत के अन्य इलाकों में दबिश दे रही है। पकड़े गए सभी आरोपी लंबे समय से इस कारोबार में जुड़े थे।

मेरठ के खरखौदा के धीरखेड़ा गांव में मुंबई पुलिस ने 20 दिन पहले मुंबई पुलिस ने छापा मारा था। जहां से एक युवक को उठाकर काफी मात्रा में नकली दवाएं बरामद की थीं। मामला ठंडा हुआ नहीं कि ब्रह्मपुरी के साईंपुरम इंडस्ट्रीज इलाके में तीन दिन पहले पुलिस ने छापा मारा था। यहां से करीब एक करोड़ रुपये कीमत की नकली दवाएं बरामद की गईं। यह दवाएं अलीगढ़ से आई थीं। इनकी मेरठ में पैकिंग होनी थी। इसके अलावा अन्य क्षेत्रों में भी नकली दवाओं की आपूर्ति और बेचने के मामले सामने आते रहे हैं।

प्रतिबंधित व नकली दवाओं के कारोबार से जुड़े लोग असली दवाओं का भुगतान तो खाते से करते थे, लेकिन नकली दवाओं का भुगतान कैश करते थे। एडीसीपी ने बताया कि मुजफ्फरनगर में कार्रवाई के दौरान अर्जुन त्यागी उर्फ कबरा के बारे में जानकारी मिली। यह नकली दवाओं के कारोबार का मास्टर माइंड है। इसका एक साथी चौधरी भी है। पुलिस दोनों की तलाश में दबिश दे रही है। एडीसीपी क्राइम ने बताया कि मुजफ्फरनगर व बागपत से पकड़े गए कारोबारियों ने पूछताछ में बताया कि वे असली दवाओं की आड़ में नकली दवाओं का भी कारोबार करते थे। असली दवाओं का लेनदेन तो खाते से होता था, लेकिन नकली दवाओं का भुगतान कैश होता था। आरोपियों ने बताया कि वे एक लाख तक की रकम दवा के गत्ते में पैक कर रोडवेज बसों से व्यापारियों से मंगवाते थे। इससे ज्यादा रकम होने पर व्यापारी सीधे आकर करते थे। पुलिस इनके खातों की भी जानकारी जुटाने में लग गई है। डीसीपी क्राइम सलमान ताज पाटिल ने बताया कि नकली दवाओं के कारोबारियों को बड़ा रैकट यूपी में सक्रिय है। कारोबारियों के कनेक्शन यूपी के कई जिलों में मिले हैं। एक-एक करके सबको गिरफ्तार किया जाएगा। टीमें बनाई गई हैं। एडीसीपी ने बताया कि नकली दवाइयां पकड़े जाने के बाद ड्रग इंस्पेक्टर को भी बुलाया गया था। ड्रग इंस्पेक्टर की टीम ने जब दवाइयों की जांच की तो सभी नकली निकलीं। पुलिस के मुताबिक ये लोग ऐसी दवाएं बनाते थे, जो मार्केट में जल्दी खप जाएं।