मुजफ्फरनगर। केंद्र सरकार ने उचित एवं लाभकारी गन्ना मूल्य (एफआरपी) में 15 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोत्तरी की है। किसान संगठनों का कहना है कि सरकार गन्ना मूल्य रिकवरी के आधार पर तय करती है, जबकि रिकवरी अधिक आने पर किसानों को इसका लाभ नहीं दिया जाता। गन्ना मूल्य रिकवरी के आधार पर तय नहीं होना चाहिए। किसान की लागत के हिसाब से कम से 450 रुपये प्रति क्विंटल भाव किसानों को दिया जाना चाहिए।
भाकियू अराजनैतिक के राष्ट्रीय प्रवक्ता धर्मेंद्र मलिक का कहना है कि केंद्र सरकार ने दाम 15 रुपये बढ़ाए हैं, लेकिन रिकवरी रेट भी बढ़ा दिया है। गन्ना मूल्य का आधार रिकवरी नहीं होना चाहिए। प्रदेश सरकार को राज्य परामर्शी मूल्य (एसएपी) में बढ़ोत्तरी कर किसानों को 450 रुपये प्रति क्विंटल का भाव देना चाहिए, तभी किसानों को राहत मिलेगी। रिकवरी अधिक होने पर किसानों को कभी लाभांश नहीं दिया जाता।
किसान मजदूर संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष के अध्यक्ष ठाकुर पूरण सिंह का कहना है कि गन्ना शोध संस्थान के आंकड़े बताते हैं कि हर साल किसानों का खर्च बढ़ रहा है। ऐसे में गन्ने का भाव किसी भी सूरत में 450 रुपये प्रति क्विंटल से कम नहीं होना चाहिए। लागत के हिसाब से मूल्य तय नहीं होगा तो किसानों की आय दोगुनी नहीं हो सकती। भाकियू जिलाध्यक्ष योगेश शर्मा का कहना है कि लागत के हिसाब से गन्ना मूल्य 450 रुपये प्रति क्विंटल होना चाहिए। हर साल खेती पर किसानों का खर्च बढ़ता जा रहा है।
चीनी मिल और उनका क्षेत्रफल
चीनी मिल रकबा
खतौली 32971
तितावी 17652
मंसूरपुर 27125
रोहाना 8302
मोरना 14393
टिकौला 24070
भैसाना 18495
खाईखेड़ी 18616
देवबंद 8066
थानाभवन 436
दौराला 363
मवाना 347
गांगनौली 205
जिले में दो लाख 81 हजार किसान
जिले के दो लाख 81 हजार 99 किसान पश्चिम यूपी की 13 चीनी मिलों को गन्ना सप्लाई करते हैं। कुल गन्ना क्षेत्रफल एक लाख 74 हजार 236 हेक्टेयर है।