मुजफ्फरनगर। मुजफ्फरनगर की विशेष पोक्सो एक्ट कोर्ट ने बहन के अपहरण की झूठी कहानी गढने वाले भाई पर मुकदमा चलाने का आदेश दिया है। कोर्ट ने साक्ष्य के अभाव में अपहरण में आरोपित महिला को बरी कर दिया। सुनवाई के दौरान पीड़िता ने बयान दिया कि वह अपनी मर्जी से घर छोड़कर चली गई थी। उसके परिवार वाले एक उम्रदराज से उसकी शादी कराना चाहते थे।

7 वर्ष पहले कोतवाली कैराना जनपद शामली में एक किशोरी के अपहरण का मुकदमा दर्ज किया गया था। पीड़िता के भाई अमजद ने पड़ौसी महिला शबनम पत्नी अजीज सहित 4 अन्य पर उसकी बहन का अपहरण करने का मुकदमा दर्ज कराया था। आरोप था कि 21 जनवरी 2015 की सुबह जब उसकी छोटी बहन भैंस को चारा डालने गई तो शबनम सहित कई अन्य लोगों ने उसका अपहरण कर लिया। वे लोग सैंट्रो कार में डालकर उसे कहीं ले गए। बचाव पक्ष के अधिवक्ता मो. आजाम ने बताया कि घटना के मुकदमे की सुनवाई विशेष पोक्सो एक्ट कोर्ट में हुई। उन्होंने बताया कि इस मामले में पीड़िता ने कोर्ट में बयान दिया कि उसका अपहरण नहीं हुआ था। वह अपनी मर्जी से बिना बताए अपनी सहेली के घर चली गई थी। उसके घरवाले उसकी मर्जी के विपरीत किसी अधिक उम्र के व्यक्ति से उसकी शादी करना चाहते थे। जिससे नाराज होकर वह घर से चली गई थी।

घटना के मुकदमे की सुनवाई करते हुए विशेष पोक्सो एक्ट कोर्ट न्यायाधीश बाबूराम ने दोनों पक्षों की बहस को गंभीरता से सुना। कोर्ट में वादी मुकदमा अमजद अपने बयान से मुकर गया। अभियोजन की याचना पर उसे पक्षद्रोही घोषित किया गया। साक्ष्य के अभाव में कोर्ट ने आरोपित महिला शबनम पत्नी अजीज को बरी कर दिया। कोर्ट ने झूठा साक्ष्य देने पर वादी मुकदमा अमजद के विरुद्ध संक्षित वाद चलाने का आदेश दिया।