नई दिल्ली. इंसान के शरीर में हृदय की बहुत अहम भूमिका है. हृदय का काम है कि जरूरी अंगों सहित पूरे शरीर में ब्लड को पंप करता रहे. लेकिन हार्ट फेल्योर तब होता है जब हृदय कमजोर हो जाता है और इस कार्य को करने में विफल रहता है. ऐसी स्थिति का सीधा असर शरीर पर पड़ता है और ऑर्गन फेल्योर जैसी बड़ी समस्या भी उत्पन्न हो सकती है.

भारत में हृदय गति रुकने के ज्यादार मामलों का निदान हार्ट फेल्योर होने से किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद किया जाता है. ऐसी घटना के दौरान एक या एक से अधिक रक्त वाहिकाएं पूरी तरह से अवरुद्ध हो जाती हैं और हृदय की मांसपेशियों को रक्त की आपूर्ति करने में विफल हो जाती हैं. इससे हृदय का वह भाग जख्मी टिश्यू में बदल जाता है जिससे हृदय की संपूर्ण कार्यक्षमता कम हो जाती है. स्थिति को तेज होने से रोकने के लिए हार्ट फेल्योर के शुरुआती लक्षणों को समझना जरूरी है. कुछ लक्षण नीचे लिस्टेड हैं जिन्हें आपको जरूरी देखना चाहिए.

हार्ट फेल्योर फेफड़ों में तरल पदार्थ के निर्माण का कारण बन सकती है. इसके कारण व्यक्ति को घरघराहट, खांसी और सांस लेने में कठिनाई का अनुभव हो सकता है.

फेफड़ों में द्रव का निर्माण कार्बन डाइऑक्साइड युक्त रक्त को ताजा ऑक्सीजन युक्त रक्त में परिवर्तित करना मुश्किल बना देता है. सांस की तकलीफ तब और अधिक स्पष्ट हो सकती है जब गुरुत्वाकर्षण के कारण फेफड़ों के नीचे से धड़ तक फ्लूड लिक्विड होता है.

जब हृदय कुशलतापूर्वक रक्त पंप करने की शक्ति खो देता है, तो यह शरीर के निचले हिस्सों से उपयोग किए गए ब्लड को वापस लाने में विफल हो जाता है. इससे पैरों, टखनों, पेट और जांघों में तरल पदार्थ जमा हो जाता है, जिससे सूजन हो जाती है.

इस स्थिति वाले लोगों के लिए थकावट और थकान की सामान्य भावना बनी रह सकती है. यह शरीर की एनर्जी जरूरतों को पूरा करने के लिए ऑक्सीजन युक्त रक्त को कुशलतापूर्वक पंप करने में हृदय की अक्षमता के कारण है.

सांस की तकलीफ और थकावट के कारण, हार्ट फेल्योर वाले व्यक्तियों को अक्सर शारीरिक गतिविधियों और यहां तक कि दिन-प्रतिदिन की एक्टिविटी को पूरा करने में कठिनाई होती है.