Health: हर महिला को अपने जीवनकाल में एक उम्र के बाद पीरियड्स शुरू होते हैं. ये एक प्राकृतिक प्रक्रिया है. इससे इस बात का पता चल जाता है कि महिला में अंडे बन रहे हैं और आगे चलकर वो मां बन सकती है. अमूमन हर महिला की पीरियड्स की शुरूआत अलग-अलग समय पर होती है लेकिन ज्यादातर मामलों में पीरियड्स आने 12 से 15 साल की उम्र में शुरू हो जाते हैं. लेकिन पहले के मुकाबले बदलती जीवनशैली के चलते अब बेहद कम उम्र की बच्चियों को पीरियड्स आने शुरू हो रहे हैं ऐसे में केवल 10 साल की उम्र से ही बच्चियों को पीरियड्स आ रहे हैं

लड़कियों में पीरियड आने की उम्र 10 से 15 साल के बीच होती है, लेकिन आजकल ऐसा देखा जा रहा है कि बहुत कम उम्र की बच्चियों को पीरियड्स (periods) आना शुरू हो जाता है, जिसमें 6-9 साल की बच्चियां भी शामिल होती हैं.

लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि इतनी कम उम्र में बच्चों को पीरियड्स क्यों आ जाते हैं, इसका कारण (Period problem in children) क्या है और क्या यह सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकता है? तो चलिए आज हम आपको बताते हैं कि बच्चों को 6 से 9 साल की उम्र में ही क्यों पीरियड्स हो रहे हैं और इसके कारण क्या हो सकते हैं.

क्या होता है प्यूबर्टी
प्यूबर्टी एक ऐसी प्रोसेस है जिसमें लड़के और लड़कियों के शरीर में बदलाव आने लगते हैं, उनके प्राइवेट पार्ट्स का डेवलपमेंट होने लगता है. लड़कियों में प्यूबर्टी की एज 8 से 13 साल और लड़कों में 9 से 14 साल के बीच में शुरू होती है. लड़कियों में आजकल समय से पहले प्यूबर्टी आने के मामले बढ़ रहे हैं, इसमें बच्चों में शारीरिक और भावनात्मक बदलाव होता है. बच्चियां अपनी उम्र से ज्यादा बड़ी दिखने लगती हैं और शरीर में बदलाव के कारण तनाव भी बढ़ने लगता है.

बच्चियों को कम उम्र में क्यों हो रही प्यूबर्टी
जब एक्सपर्ट से बच्चियों में जल्दी प्यूबर्टी होने के कारण के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि पहले लड़कियों में शारीरिक बदलाव के पहले संकेत दिखने के 18 से 3 साल के बाद पीरियड्स आते थे, लेकिन अब लड़कियों को तीन से चार महीने के अंदर ही पीरियड शुरू हो रहे हैं.

इसके पीछे का कारण नाक और मुंह के जरिए कीटनाशकों का शरीर में जाना, मोटापा, मोबाइल, टीवी का ज्यादा इस्तेमाल और जेनेटिक डिसऑर्डर हो सकता है. इतना ही नहीं आजकल बच्चों के खाने में प्रोसेस्ड फूड, जंक फूड, और कोल्ड ड्रिंक्स ज्यादा होता है, इनमें कुछ ऐसे केमिकल और प्रिजर्वेटिव्स होते हैं, जो हार्मोनल को इंबैलेंस कर सकते हैं.

पेरेंट्स ध्यान रखें
– बच्चे को इसके लिए मानसिक रूप से तैयार करें

– बच्चे में मोटापे की समस्या न होने दें.

– बाहर के जंक फूड की जगह घर का हेल्दी खाना खाने की आदत डालें.

– घबराएं नहीं, अगर जरूरत हो तो बच्चे की काउंसलिंग डॉक्टर से जरूर करवाएं.