मुजफ्फरनगर। चार साल पहले बहुचर्चित राशन घोटाले के आरोपी विक्रेता कानून के शिकंजे में फंस गए हैं। आर्थिक अनुसंधान शाखा मेरठ ने अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया। इसके बाद 16 आरोपियों ने अग्रिम जमानत के लिए अलग-अलग प्रार्थना पत्र दाखिल किए। विशेष अपर सत्र एवं न्यायाधीश (ई.सी. एक्ट) गोपाल उपाध्याय ने जमानत देने से इंकार कर दिया। चार आरोपियों की अग्रिम जमानत अर्जी पर सुनवाई 12 अक्तूबर को होगी।
विशेष लोक अभियोजक अजय कुमार ने बताया कि राशन कार्ड धारकों के लिए आवश्यक वस्तु वितरण के लिए एनआईसी उत्तर प्रदेश के माध्यम आधार कार्ड में बॉयोमेट्रिक तकनीक का प्रयोग किया जाता है। इस तकनीक का दुरुपयोग पाए जाने पर संबंधित क्षेत्रीय खाद्य अधिकारियों ने अगस्त 2018 में जिले के आठ थाना क्षेत्रों में 13 मुकदमे दर्ज कराए थे। एनआईसी के परीक्षण में कुछ आधार जांच में वास्तविक लोगों के आधार डाटा एडिट कर अपने परिचितों का डाटा फीड किया गया था, जिस वजह से पात्र राशन लेने से वंचित रह गए थे। मुकदमों की विवेचना विवेचना आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन मेरठ ने की। आरोपी कोर्ट ने तलब किए, अब सात अर्जियों पर 16 आरोपियों की अग्रिम जमानत खारिज हो गई है।
दरअसल, अधिकांश अधिकांश मामलों में नामजद आरोपियों ने हाईकोर्ट से गिरफ्तारी पर स्टे ले लिया था।
अदालत ने ब्रजेश रानी खादर वाला, आसिफ खान नार्थ लद्दावाला, रामअवतार लद्दावाला, जयपाल दक्षिणी सिविल लाइन, प्रमोद गुप्ता लद्दावाला, धर्मपाल रुड़की चुंगी एकता विहार, नेहा गोयल काशीराम आवासीय कॉलोनी, किरनपाल लक्ष्मण विहार, शकुंतला देवी गांधी कॉलोनी, अरुणा शर्मा द्वारकापुरी, प्रदीप कुमार खटीकान मोहल्ला कोतवाली नगर, वीरेंद्र सुभाष नगर, रामअवतार कंबल वाला बाग, सलीम बेगम लद्दावाला, अलीहसन लद्दावाला एवं श्याम लता की अग्रिम जमानत अर्जी निरस्त कर दी। चार आरोपी अमित कुमार, मुकेश, ब्रजपाल और कंवरपाल की अग्रिम जमानत अर्जी पर सुनवाई 12 अक्तूबर को होगी।
अग्रिम जमानत पर अभियोजन पक्ष की ओर से विशेष लोक अभियोजक राम निवास एवं अजय कुमार ने पैरवी की। उन्होंने गाजियाबाद के आईटी एवं साइबर विशेषज्ञ गिरीश गहलौत से आधार कार्डों में हेराफेरी के संबंध में तकनीकी जानकारी जुटाकर मजबूत पैरवी की। अदालत ने अलग-अलग अर्जियों पर सुनवाई के बाद 16 आरोपियों की जमानत देने से इनकार कर दिया।
‘अभियुक्तगण के कृत्य से कल्याणकारी राज्य के उद्देश्यों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है और निम्न आय वर्ग के लाभार्थी राज्य प्रदत्त लाभ से वंचित रहें है। प्रस्तुत प्रकरण आर्थिक और सामाजिक अपराध से संबंधित गंभीर प्रकृति का अपराध है। जमानत प्रार्थना पत्रों के तथ्य पर्याप्त् एवं संतुष्टिकारक नहीं है। बिना गुण दोष के आधार पर अग्रिम जमानत प्रार्थना पत्र निरस्त किए जाने योग्य है’।
विशेष न्यायाधीश (ई.सी. एक्ट) उपाध्याय , अपर एवं सत्र न्यायधीश कोर्ट नंबर-4
वर्ष 2018 के अगस्त माह में प्रदेश में बहुचर्चित राशन घोटाला उछला था। फर्जी आधार कार्ड और ई-पॉश मशीन से जुड़े सॉफ्टवेयर में सेंधमारी और आधार कार्ड की फीडिंग में हेराफेरी करके करोड़ों रुपये के अनाज की हेराफेरी कर लाभार्थियों का राशन हड़पा गया। इसमें प्रयागराज, मेरठ, मुजफ्फरनगर, गाजियाबाद, कानपुर समेत कुल 43 जिले शामिल थे। पहले चरण में ई पॉश मशीनों से अनाज वितरण शहरी क्षेत्रों में शुरू किया गया था। यही वजह है कि शहरी क्षेत्रों में ही ज्यादातर यह घोटाला किया गया। 64 आधार कार्ड नंबरों का फर्जी तरीके से प्रयोग कर 19,795 बार गरीबों के हिस्से का अनाज, चावल, चीनी आदि सामग्री ली गई थी।आधार कार्डों में हेराफेरी करने के आरोप में मुजफ्फरनगर शहर से सबसे ज्यादा 80 राशन विक्रेता घेरे में आए थे।
एसपीओ अजय शर्मा ने बताया जांच एजेंसी द्वारा तत्कालीन पूर्ति निरीक्षक मोहिनी मिश्रा और विभाग से जुड़े लोगों की विवेचना चल रही है। आठ थानों कोतवाली और सिविल लाइन में तीन-तीन, नई मंडी में दो, पुरकाजी, जानसठ, मीरापुर, बुढ़ाना, भौराकलां में एक-एक मुकदमे दर्ज हुए थे। राशन वितरण प्रणाली के डाटा बेस से छेड़छाड़ कर करोड़ों के खाद्यान्न की हेराफेरी करने के आरोप में करीब 100 राशन विक्रेता और 64 आधार कार्ड धारकों के अलावा कंप्यूटर ऑपरेटरों को नामजद किया था। अधिकांश मुकदमों विवेचना के बाद अधिकांश मामलो में आरोप पत्र कोर्ट में दाखिल कर दिए है।