मेरठ। चौधरी चरण सिंह कांवड़ नहर दायीं पटरी के निर्माण का रास्ता साफ हो गया है। लोक निर्माण विभाग ने मुख्य वन संरक्षक लखनऊ को पत्र लिखकर जमीन से जल्द कब्जा छोड़ने के लिए कहा है। इस पत्राचार के बाद लोक निर्माण विभाग नवंबर के पहले सप्ताह में टेंडर निकालने जा रहा है। लोक निर्माण विभाग ललितपुर, सोनभद्र और मिर्जापुर में 200 हेक्टेयर से अधिक वानिकी और गैर वानिकी जमीन वन विभाग को उपलब्ध करा चुका है। गाजियाबाद से वाया मेरठ, मुजफ्फरनगर तक गंगनहर की दायीं पटरी पर 110 किमी तक यह पटरी मार्ग बनाया जाना है।

वर्ष 2020 में शासन ने 628.74 करोड़ रुपये का बजट स्वीकृत किया था। वहीं, इसके लिए 249 करोड़ का बजट पास भी कर दिया गया था। इसमें से 125 करोड़ रुपये का बजट सेतु निगम को दिया गया था। सेतु निगम ने सरधना के पास ब्रिज बनाने के लिए भूमि पूजन कराया था। इसके बाद वन विभाग को बदले में जमीन देने की प्रक्रिया में देरी से निर्माण कार्य अटका था।

पटरी निर्माण के लिए वन विभाग की सबसे अधिक 113.68 हेक्टेयर जमीन मुजफ्फरनगर में है। मेरठ में 84.60 हेक्टेयर और गाजियाबाद में कुल 24.70 हेक्टेयर जमीन है। इसके अलावा पेड़ों के कटान के लिए भी अलग से जमीन की व्यवस्था की जानी है। इस पटरी निर्माण में मेरठ में 66685 पेड़, मुजफ्फरनगर में 16873 पेड़ और गाजियाबाद में 4164 पेड़ काटे जाने हैं। वहीं, बीच में विभाग के 25000 पेड़ काटे जाएंगे।

यह पटरी निर्माण पूरा होने से एक वैकल्पिक मार्ग भी तैयार हो जाएगा। जिससे आसानी से वाहन सीधे नहर की पटरी से दिल्ली से होते हुए उत्तर प्रदेश के शहरों से गुजरकर उत्तराखंड पहुंच सकेंगे। वहीं, पटरी का दोहरीकरण होने से दुर्घटनाओं में कमी आएगी। कांवड़ यात्रा में बंद होने वाले हाईवे पर भी अधिक असर नहीं पड़ेगा। डाक कांवड़ पटरी से गुजर जाएंगी। पुलिस प्रशासन की मशक्कत भी कम होगी।

लोक निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता राजीव कुमार का कहना है कि वन विभाग की ओर से एक सप्ताह में सभी औपचारिकताएं पूरी हो जाएंगी। इस बार शासन को पत्र लिख दिया है। हम नवंबर के पहले सप्ताह में टेंडर निकालने की पूरी तैयारी कर रहे हैं।