रोशनी, सजावट और स्वच्छता का पर्व दीपोत्सव। जब हर सनातनी अपना घर सजाता है। उत्साह और उमंग की लहर जैसे वातावरण में घुल मिल जाती है। त्योहार को हर कोइ खास अंदाज में मनाने की ख्वाहिश होती है लेकिन सनातन संस्कृति से जुड़े इसे पर्व को परंपरा के साथ मनाने की मान्यता सदियों से चली आ रही है। इन्हीं मान्यताओं में रखा जाता है ध्यान वास्तु का भी। आधुनिक वास्तु एवं एस्ट्रो विशेषज्ञ दीप्ति जैन ने साझा किये हैं कुछ खास 13 टिप्स जो आपकी दिवाली को बना सकते हैं सुख समृद्धिवाली।
1- अनावश्यक वस्तुएं इकट्ठा करना वास्तु दोष उत्पन्न करता है।
2- नकली पुष्पों से घर को ना सजाएं। अपने घर को ताजे़ फूलों व पौधे से सजाएं। प्लास्टिक से बने पुष्प नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह करते हैं। इनमें जमी धूल मिट्टी वास्तु एवं वैज्ञानिक दृष्टि से नुकसानदेह है।
3- इस दीवाली घर तुलसी, मनी प्लांट, बांस का पौधा, गेंदे का फूल, गुलाब, हरसिंगार आदि सुंदर पौधों से सजाएं। जितना हम प्राकृतिक वस्तुएं घर में लाएंगे उतनी प्रकृति हमें प्रगति देगी।
4- घर के उत्तर पूर्व व दक्षिण पूर्व क्षेत्र में मछली का एक्वेरियम रखें। एक्वेरियम इन दिशाओं में रखने से सुख व समृद्धि का वास होता है। एक्वेरियत ना रखना हो तो पानी का फव्वारा उत्तर पूर्व दिशा में लगाएं। घर में शांति पर शुद्धता का वास होता है। वह भी न रख पाएं तो जल से भरा एक कलश घर के उत्तर पूर्व दिशा में रखें। जल का यह कलश हमारे घर की नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करेगा। इस कलश का पानी नियमित रूप से बदलें।
5- घर के मुख्य द्वार पर हल्दी, रोली या चूने का स्वास्तिक चिन्ह बनाएं। स्वास्तिक एक शुभ चिन्ह है जो हमारे घर को नकारात्मक स्पन्दन व नज़र से बचाव करता है। हल्दी रोगाणुरोधक पदार्थ है। रोली शक्ति व साहस का प्रतीक है व चूना हमारे द्वार पर आई हुई कुदृष्टि व नकारात्मक ऊर्जा को शुद्ध करता है।
6- घर के द्वार पर वंदनवार या तोरण लगाएं। वंदनवार में लाल पीले फूल हों तो शुभ फल प्राप्त होता है। तोरण में शीशा, लक्ष्मी, गणेश या अन्य देव नहीं बने हुए होने चाहिए। मुख्य द्वार पर शीशा लगाने से बचें।
7- मिट्टी की बनी गुल्लक घर के दक्षिण पश्चिम की अलमारी में रखें। गुल्लक में कुछ धनराशि भी अवश्य डालें।
8- घर के मध्य (ब्रह्म स्थान) के मुख्य द्वार पर रंगीन चावल की रंगोली बनाएं। चावल हमारे मानसिक कष्टों को हर लेता है। हमारे मन को शांति व सुख देता है।
9- घर के मध्य में बनी रंगोली में अष्टकोण बनाएं। यह हमें मान -सम्मान, सुख -शांति, धन- समृद्धि व यश- कीर्ति प्रदान करता है।
10- पूरे घर को अशोक की पत्तियों व गेंदे की माला से सजाएं। अशोक, शोक को हरने का काम करता है। इसकी पत्तियां हमारे वातावरण का शोधन करती हैं।
11- गेंदे का फूल औषधिय रुप में हमारे पूरे घर को कीटाणु रहित बनाता है। साथ ही यह हमारे गुरु ग्रह को शुद्ध करता है।
12- रोशनी के लिए मिट्टी के दीपक का प्रयोग करें। मिट्टी से बने दीपक हमारे बुध ग्रह को शुद्ध करते हैं। साथ ही यह वातावरण अनुकूल होते हैं। सरसों के तेल का दीपक जलाने से हमारी सारी बाधाएं दूर होती हैं। साथ ही वातावरण भी शुद्ध होता है। घी का दीपक जलाने से शुक्र ग्रह शुद्ध होते हैं। महालक्ष्मी की असीम कृपा प्राप्त होती है।
13- घर के मंदिर में पूर्व मुखी बैठ कर पूरे श्रद्धाभाव के साथ पूजा अर्चना करें। अपने दुख-दर्द ईश्वर को अर्पण कर दें। अपनी बुराइयों को दीपावली के दीप के साथ जला दें।