नई दिल्ली। ये तो साबित हो चुका है कि ग्रहण की स्थितियां मनुष्य के मूड अच्छा खासा असर डालती हैं. उनके व्यवहार के लेकर गतिविधियों तक में. ऐसा ही जानवरों को भी होता है. उनके तो दिनभर का रुटीन सूरज और चांद के हिसाब से होता है, जब वो दिन में अचानक रात जैसा वातावरण देखते हैं या रात में चांद को गायब पाते हैं उसका रंग बदला हुआ देखते हैं तो अचरज में पड़ जाते हैं. डरते हैं. तनाव में आ जाते हैं. ऐसे में उनका व्यवहार अजीब हो जाता है.
जो खगोलीय घटनाएं होती हैं, उसमें जानवरों पर सबसे ज्यादा असर सूर्य ग्रहण का पड़ता है. बहुत से जानवर समझ ही नहीं पाते कि ये क्या हो गया. उन्हें लगता है कि रात हो गई और वो अपने घर की ओर लौटने लगते हैं. जो पक्षी रात में जागते हैं, उन्हें लगता है कि आज उन्हें इतनी जल्दी क्यों जगना पड़ रहा है. ग्रहण के दौरान जानवर आमतौर व्यथित हो जाते हैं और ग्रहण खत्म होने के बाद बचे हुए दिन में वो तनावग्रस्त लगते हैं.
सूर्य ग्रहण तब पड़ता है जब सूरज, चंद्रमा और पृथ्वी एक सीध में आ जाते हैं. जब सूर्य ग्रहण होता है और जो लोग इसे देख रहे होते हैं, उनमें अक्सर व्यवहार में असामान्य घटनाएं होती हैं.
साइंस अलर्ट में स्टीव पोर्तगल की रिपोर्ट कहती है मकड़ी प्रजातियां ग्रहण के दौरान ब्रेक डाउन की शिकार हो जाती हैं. वो अपने ही जाले को तोड़ने लगती हैं. बेचैनी दिखाती हैं. एक बार ग्रहण बीत जाने के बाद, वे उन्हें फिर से बनाना शुरू कर देती हैं.
मछलियां और पक्षी भी बदहवास होने लगते हैं. दोनों का व्यवहार अजीब हो जाता है. वो डल लगने लगते हैं और समझ में नहीं आता कि ये क्या हो गया. ग्रहण के समय वो घरों की लौटने लगते हैं. तो चमगादड़ को लगता है कि आज तो रात कुछ ज्यादा जल्दी ही हो गई तो वो उड़ना शुरू कर देता है.
एक खास किस्म की बत्तख तो इतना डर जाती है कि उसकी दिल की धड़कन ही बढ़ जाती है और उल्लू को लगता है कि उसकी सुबह कुछ ज्यादा ही जल्दी हो गई है.
जिम्बाबवे में हिप्पो को ग्रहण के दौरान नदी छोड़ने के लिए बेचैन देखा गया, तब वो प्रजनन के लिए किसी सूखी जगह पर जाने की कोशिश करते हैं. जब वो आधे रास्ते में पहुंचते हैं तो ग्रहण खत्म हो जाता है, सूर्यग्रहण खत्म होने पर दिन के अंधेरे की जगह रोशनी वापस आ जाती है, तब हिप्पो तुरंत अपने आगे जाने के प्रयास बंद कर देते हैं.
चंद्र ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा, पृथ्वी परिक्रमा करने के दौरान सूरज के साथ एक सीध में आ जाएं. तब पृथ्वी इन दोनों के बीच में आ जाती है. तब पृथ्वी चांद पर पहुंचने वाली सूरज की रोशनी को रोक देती है , तब चांद की आभा लाल हो जाती है और चमक कम लगने लगती है. इसे ब्लड मून कहते हैं, ये तभी होता है चांद पूर्ण स्थिति में होता है. तब चंद्र ग्रहण से पैदा होने वाले असर से जानवरों का बच पाना संभव नहीं हो पाता. तब जानवर बदले हुए चांद को देखकर हैरान हो जाते हैं.