मुजफ्फरनगर। नगर पालिका के दो विभागों स्वास्थ्य और पथ प्रकाश के कबाड़ की नीलामी से पालिका के खजाने में 25 लाख रुपये जमा हुए हैं। पथ प्रकाश की निष्प्रयोज्य सामग्री 16 लाख और स्वास्थ्य
शनिवार दोपहर नगर पालिका के सभाकक्ष में प्रशासक नगर मजिस्ट्रेट अनूप कुमार की अध्यक्षता में
पालिका के चार विभागों स्वास्थ्य, जलकल, पथ प्रकाश और कर के भंडार में कई वर्षों से जमा निष्प्रयोज्य सामग्री की नीलामी खुली बोली प्रक्रिया शुरू हुई। नीलामी कमेटी में शामिल ईओ हेमराज सिंह, एआरटीओ से आरआई टेक्निकल अनुराग सिंह वर्मा, सहायक अभियंता नलकूप हरीश अहलावत और सहायक अभियंता जल निगम भी मौजूद रहे। नीलामी प्रक्रिया कमेटी के नोडल अधिकारी पालिका के सहायक अभियंता जल सुनील कुमार ने पूर्ण कराई। इस नीलामी से पालिका प्रशासन को एक बड़ी रकम राजस्व के रूप में मिलने की उम्मीद थी। चार विभागों में से केवल दो ही विभागों पथ प्रकाश और स्वास्थ्य की निष्प्रयोज्य सामग्री की नीलामी ही हो पाई।
नोडल अधिकारी एई सुनील कुमार ने बताया कि पथ प्रकाश विभाग के निष्प्रयोज्य सामान की नीलामी के लिए 22 ठेकेदारों ने अपना पंजीकरण कराया था। इसके लिए सरकारी बोली 14 लाख 94 हजार 340 रुपये थी। बोली में सभी ठेकेदारों ने प्रतिभाग किया और अंतिम बोली 16 लाख रुपये में छोड़ी गई। स्वास्थ्य विभाग के कबाड़ की नीलामी के लिए 24 ठेकेदारों ने पंजीकरण कराया, सभी उपस्थित रहे। इसमें सरकारी बोली 8 लाख 44 हजार 600 रुपये तय थी, यह नीलामी अंतिम बोली 9.05 लाख पर छोड़ी गई।
जलकल और कर विभाग की निष्प्रयोज्य सामग्री की नीलामी एक जगह ही कराई गई। इसमें 10 ठेकेदारों ने पंजीकरण कराया था। इसके लिए सरकारी बोली 34.43 लाख तय थी, बोली शुरू होने पर प्रशासक नगर मजिस्ट्रेट अनूप कुमार ने यह बोली 35 लाख रुपये की राउंड फिगर से शुरू कराने के आदेश दिए, लेकिन यह बोली नहीं हो पाई। जल्द ही यह नीलामी कराई जाएगी। उल्लेखनीय हैं कि नीलामी प्रक्रिया के लिए 27 जुलाई 2020 को आयोजित पालिका बोर्ड बैठक में प्रस्ताव हुआ था और डीएम ने पांच मई 2021 को आदेश जारी किया था।
जब ईओ हेमराज सिंह पालिका में बोली की व्यवस्था कराने पहुंचे तो सबसे पहले उन्होंने जलकल-कर विभाग की नीलामी के लिए पंजीकृत 10 ठेकेदारों की हाजिरी ली और उनको आगे बुलाकर बैठा लिया। इसके बाद शेष ठेकेदारों को सभाकक्ष से बाहर चले जाने को कहा। इस पर ठेकेदारों ने कहा कि वह खामोश रहेंगे, उनको यहीं बैठे रहने दें। आरोप है कि ईओ ने रुखा व्यवहार किया। इस पर ठेकेदार भड़क गए और ईओ के साथ उनकी झड़प हुई।