मोरबी। गुजरात के मोरबी जिले में मणि मंदिर के पास मच्छु नदी पर बना केबल ब्रिज टूट गया है. अचानक पुल (हैंगिंग ब्रिज) के टूटने से बड़ी संख्या में उस पर मौजूद लोग पानी में गिर गए। एक टीवी चैनल के मुताबिक जिस वक्त पुल गिरा उस समय उस पर बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे।

बताया जा रहा है कि पुल टूटने से उसपर खडे 400 लोग नदी में जा गिरे। इस हादसे में अभी तक 32 लोगों की मौत की सूचना आ रही है. हालांकि, मृतकों की संख्या में इजाफा हो सकता है. पुल टूटने से नदी में सैंकड़ो लोगों के गिरने की जानकारी सामने आई है. पुल के गिरने के बाद तुरंत मौके पर पुलिस और जिला प्रशासन के लोग रेस्क्यू ऑपरेशन में जुट गए. गांधीनगर से मोरबी के लिए एनडीआरएफ की दो टीमें रवाना हो गई हैं. वहीं, राजकोट से भी एसडीआरएफ की टीम भेजी जा रही है।

हादसे को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल और राज्य के अधिकारियों से बात की है. उन्होंने बचाव अभियान के लिए टीमों को तत्काल भेजे जाने के निर्देश दिए हैं. उन्होंने स्थिति की बारीकी से निगरानी करने और प्रभावित लोगों को हर संभव मदद देने को कहा है।

मुख्यमंत्री पटेल ने कहा, ‘मैं मोरबी की त्रासदी में जान गंवाने वाले नागरिकों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूं. राज्य सरकार प्रत्येक मृतक के परिवार को 4 लाख रुपये और घायलों को 50,000 रुपये देगी।’ अधिकारियों ने कहा कि हाल ही में मरम्मत के बाद जनता के लिए फिर से खोला गया पुल टूट गया क्योंकि यह उस पर खड़े लोगों का भार सहन नहीं कर सका. स्थानीय विधायक एवं राज्य मंत्री बृजेश मेरजा ने कहा, पुल टूटने से कई लोग नदी में गिर गए. बचाव अभियान जारी है. ऐसी जानकारी है कि इसमें कई लोग घायल हुए हैं. उन्हें अस्पताल ले जाया जा रहा है.प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, पुल जिस समय टूटा उस समय उस पर कई महिलाएं और बच्चे थे.।

दरअसल, मच्छु नदी में बना केबल ब्रिज अचानक टूट जाने से कई लोग नदी में गिर गए. जहां लोगों को नदी से निकालने के लिए पुलिस टीम द्वारा रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा है. वीडियों में नजर आ रहा है कि ब्रिज टूटने के बाद कई लोग बीच में भी फंस गए, जो टूटे हुए ब्रिज की रस्सी को पकड़कर किसी तरह बचने की कोशिश करते दिखे। बताया जा रहा है कि नए साल के मौके पर मोरबी का केबल ब्रिज दर्शकों के लिए खोल दिया गया था. वहीं, 2 करोड़ रुपए की लागत से इसका जीर्णोद्धार किया गया था. हालांकि, रिनोवेशन के बाद भी इतना बड़ा हादसा होने पर अब कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं।

वहीं, केबल ब्रिज के इतिहास पर नजर डालें तो इस ब्रिज का उद्घाटन 20 फरवरी, 1879 को मुंबई के गवर्नर श्री रिचर्ड टेम्पल ने किया था. यह उस समय लगभग 3.5 लाख की लागत से 1880 में बनकर तैयार हुआ था. इस समय पुल बनाने का सामान इंग्लैंड से आया था. यह पुल दरबारगढ़ को नजरबाग से जोड़ने के लिए बनाया गया था। हालांकि,अब यह लटकता हुआ कुंड महाप्रभुजी के आसन और पूरे समाकांठा क्षेत्र को जोड़ता है. मोरबी का यह केबल ब्रिज 140 साल से भी ज्यादा पुराना है और इसकी लंबाई करीब 765 फीट है. यह केबल ब्रिज गुजरात के मोरबी ही नहीं बल्कि पूरे देश के लिए ऐतिहासिक धरोहर है।