मुज़फ्फरनगर. भारतीय किसान यूनियन अराजनैतिक के नेताओं ने केन्द्रीय कृषि मंत्री से मुलाकात कर उन्हें मांगों से संबंधित ज्ञापन सौंपा। जिसमें उन्होंने मांग की कि किसान क्रेडिट कार्ड का रिन्यूवल प्रत्येक वर्ष के स्थान पर 5 वर्ष में किया जाए। कहा कि प्रत्येक वर्ष रिन्यूवल के लिए मूलधन जमा कराने के चक्कर में किसान साहूकारों के चक्कर में फंस जाता है। इसके अलावा मांग की गई कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत सभी तरह के वास्तविक नुकसान के लिए व्यक्तिगत आधार पर फसल बीमा से नुकसान की भरपाई की जाये।

भारत सरकार के कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने भारतीय किसान यूनियन (अराजनैतिक) के चेयरमेन व गठवाला खाप के चौधरी राजेंद्र मलिक, राष्ट्रीय प्रवक्ता धर्मेंद्र मलि, राजबीर सिंह, भाकियू (अ) के युवा के प्रदेश अध्यक्ष दिगम्बर सिंह, दया प्रधान, जीवन सिंह, भूपेंद्र शर्मा महानगर अध्यक्ष नोएडा, राजी चौधरी से किसानों की समस्याओं पर चर्चा की। भाकियू अराजनैतिक के राष्ट्रीय प्रवक्ता धर्मेन्द्र मलिक ने बताया कि कृषि मंत्री ने कहा कि लोकतंत्र में असहमति का अपना स्थान है, विरोध का भी स्थान है और मतभेद का भी। उन्होंने कहा कि लेकिन क्या विरोध किसान की कीमत पर किया जाना चाहिए जिससे देश के किसानाें का नुकसान हो। उन्होंने बताया कि कृषि मंत्री ने किसान की फसलों को बाजार में प्रतिस्पर्धात्मक मुकालबे के लिए पैकेजिग, ब्रांडिंग, ग्रेडिंग के लिए यूनिट समितियों, एफपीओ, मंडी परिषद के माध्यम से स्थापित कराने का आश्वासन दिया।

भारतीय किसन यूनियन अराजनैतक के राष्ट्रीय प्रवक्ता धर्मेन्द्र मलिक ने बताया कि किसान नेताओं ने कृषि मंत्री को ज्ञापन सौंपकर कई गंभीर मांगे उनके समक्ष रखी।

1. किसान क्रेडिट कार्ड ऋण अधिकतम 5 वर्ष के लिए स्वीकृत किये जाते हैं, लेकिन प्रतिवर्ष ब्याज लिया जाता है और इसके साथ ही किसान को एक बार मूलधन भी जमा करना पड़ता है, जिससे किसान एक दिन के लिए जमा करने के चक्कर में साहूकार के जाल में फंस जाता है। इसलिए जिन किसानों की भूमि में कोई परिवर्तन नहीं होता है, उन किसानों से मूलधन 5 वर्ष में नवीनीकरण के समय लिया जाना चाहिए।

2. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत सभी तरह के वास्तविक नुकसान के लिए व्यक्तिगत आधार पर फसल बीमा से नुकसान की भरपाई की जाये और लघु किसान के लिए प्रिमियम दर शून्य रखी जाए।

3. बाजार हस्तक्षेप योजना (मार्केट इंटरवेंशन स्कीम) के लिए बिना राज्यों की पेशकश के केंद्र सीधे तौर पर इस मामले में कोई हस्तक्षेप नहीं कर सकता है। इस कारण योजना लागू होने में देर होती है, इसलिए इस समस्या का समाधान किया जाये।

4. कृषि उपज के प्रसंस्करण के माध्यम से मूल्यवर्धन करने के लिए सहकारी समितियां गांव/ब्लॉक-स्तर पर प्रसंस्करण, ग्रेडिंग, पैकेजिंग सुविधाओं की स्थापना के लिए सबसे उपयुक्त जमीनी इकाईयां हैं। इससे किसान अपनी उपज के बेहतर रिटर्न प्राप्त कर सकते हैं। इसलिए इसके लिए उपबन्ध किया जाये।

5. कृषि कार्य में लगने वाले सभी यंत्रों व रासायनिक दवाइयों, बीज पर जीएसटी की दर न्यूनतम की जाएं। कृषि उपकरणों पर न्यूनतम जीएसटी दर से जहां उपकरण निर्माताओं को बढ़ावा मिलेगा, वहीं किफायती उपकरण से छोटे किसानों को स्थायी मशीनीकृत समाधान मिलेगा।