मुजफ्फरनगर। पद्मभूषण से सम्मानित पर्यावरणविद अनिल कुमार जोशी अपने 13 सदस्यीय दल के साथ प्राकृति और पर्यावरण से मनुष्य को जोड़ने के लिए साइकिल यात्रा निकाल रहे हैं। उनका उद्देश्य है, कि यात्रा से लोगों को अहसास कराया जाए, कि निरंतर प्राकृति हमारा साथ छोड़ रही है। इस पर सामूहिक रूप से मंथन और बचाव की मुहिम चलानी चाहिए। प्राकृति के संसाधनों का अधिक दोहन हो रहा है, जिससे जलवायु का संतुलन बिगड़ रहा है।
रविवार को खतौली में कुंद-कुंद जैन प्राइमरी स्कूल में पर्यावरणविद अनिल कुमार जोशी का स्काउड गाइड समेत शिक्षकों ने भव्य स्वागत किया। इस दौरान पर्यावरणविद अनिल कुमार जोशी ने अपनी यात्रा और प्रगति, प्राकृति पर खुलकर विचार रखे। पत्रकारों से बातचीत में बताया कि दो अक्टूबर को मुंबई से साइकिल यात्रा आरंभ की थी, जिसमें उनके साथ 13 लोग हैं। इसका मुख्य उद्देश्य है, कि प्र्रगति और प्राकृति का विकास एक साथ होना चाहिए।
प्राकृति और पर्यावरण से मुनष्य को जुड़ना चाहिए है। दशकों से पृथ्वी, प्राकृति के संसाधनों का दोहन कर रहे हैं, लेकिन इस पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। पिछले कई दशकों से प्राकृति हमारा साथ छोड़ रही है। हवा का रुख बदल रहा है, जबकि प्राणवायु घट रही है। यह सबकुछ मनुष्य के द्वारा प्राकृति के दोहन से हो रहा है। हमारा ध्यान प्रगति पर है, प्राकृति से छूट रही है। कहा कि यात्रा के माध्यम से लोगों को साथ जोड़कर जागरुकता लानी होगी। उन्होंने कहा कि यात्रा का समापन देहरादून में नौ नवंबर को किया जाएगा।
मोरनाः शुकतीर्थ स्थित महर्षि दयानंद धाम में सार्वदेशिक आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में पांच दिवसीय योग शिविर एवं खेल प्रतियोगिता का शुभारंभ हवन यज्ञ के बीच हुआ। बिजनौर से आए मुख्य अतिथि स्वामी सूर्यवेश महाराज ने कहा कि युवाओं को शरीर स्वस्थ रखने के लिए खेलकूद बहुत जरूरी है। छात्र-छात्राओं को पढ़ाई लिखाई के साथ साथ खेलकूद में भी बढ़ चढ़कर भाग लेना है।शिविर में स्वामी सूर्यवेश महाराज ने कहा कि यज्ञ हमारी भारतीय संस्कृति का प्रतीक है।
यज्ञ हमें आध्यात्मिकता से जोड़ता है। प्राचीन काल से ही ऋषि मुनि, राजा कोई भी शुभ कार्य करने से पहले यज्ञ का आयोजन करते थे, जिससे उनके किसी भी कार्य में बाधा उत्पन्न नहीं होती थी। युवा पीढ़ी को भी यज्ञ के आयोजन में बढ़ चढ़ कर भाग लेना चाहिए। आर्य युवक परिषद के प्रदेश अध्यक्ष रामफल ब्रह्मचारी ने बताया कि शिविर में सरिया मोड़ना, जंजीर तोड़ना, रस्सी के मलखंब पर पूर्ण बजरंग आसन, पूर्ण चक्रासन, सम्प्रसारण एवं सव आसन, नटराजन, चक्रासन, ताड़ आसन, गरुड़ आसन का प्रशिक्षण दिया जाएगा। शिविर में मुख्य प्रशिक्षक आचार्य हरपाल शास्त्री, प्रीति आर्या, शिखा आर्य, मोक्षी, आरजू, अमित शास्त्री, प्रधान राजकुमार, श्रीपाल आर्य, प्रिंस, हर्ष आदि मुख्य भूमिका निभा रहे है।