मुजफ्फरनगर। चरथावल के गांव नंगला राई में जानलेवा बुखार से पीड़ित नंगला राई के चिकित्सक हॉस्पिटल में 12 दिन बाद जिंदगी की जंग हार गए। एक हफ्ते तक मेरठ हायर सेंटर में उपचार के बाद भी उनकी जान नहीं बच सकी। गांव में शोक छाया है। ग्रामीण डेंगू बुखार से चिकित्सक की मौत की बात कह रहे है।
आपको बता दें कि नगला राईं निवासी मुस्तफा (40) पिछले करीब 10-12 दिन से बुखार से पीड़ित था। परिजनों ने पहले उसे मुजफ्फरनगर निजी हॉस्पिटल में दिखाया, लेकिन नाजुक हालत होने पर मेरठ के आनंद हॉस्पिटल में रेफर कर दिया। वहां करीब आठ दिन तक मौत और जिंदगी के बीच जूझते रहे। तीन दिन पहले उन्होंने हाथ खड़े कर दिए और वापस कर दिया। उसके बाद परिजन दो दिन पूर्व एम्स ऋषिकेश लेकर गए, लेकिन गंभीर हालत होने के कारण वहां भी भर्ती नहीं किया गया। उसके बाद पीजीआई चंडीगढ़ ले जाया गया, लेकिन चिकित्सकों ने घर ले जाने की सलाह दी। परेशान परिजनों ने रास्ते में अंबाला के निजी नर्सिंग होम में भर्ती कराया। उपचार के दौरान वहां उनकी मौत हो गई।
पूर्व बीडीसी मतलूब राइन और शिक्षक आसिफ ने बताया कि मेरठ हॉस्पिटल में चिकित्सकों ने डेंगू की पुष्टि की थी। उधर, सीएचसी प्रभारी डॉ सतीश कुमार ने डेंगू से मौत के बारे में अनभिज्ञता जाहिर की है। उनका कहना है सीएचसी पर ऐसा कोई मरीज भर्ती नहीं हुआ है। ग्रामीण आसिफ, मतलूब, मेहताब, अकरम और बिलाल ने सीएमओ से गांव में फागिंग कराने एवं स्वास्थ्य कैंप लगवाकर बुखार पीड़ित मरीजों का चेकअप कराने की मांग की है।