मैनपुरी. मैनपुरी लोकसभा उप चुनाव में पल-पल सियासत नई करवट बदल रही है। इस बार कई प्रत्याशियों का नामांकन निरस्त हो जाने से चुनावी चाणक्यों का गणित फिर गडबड़ा गया है। सुभासभा प्रत्याशी का नामांकन निरस्त होने से कश्यप वोट प्रभावित हो गया है। अब ये वोट चुनाव में अपनी निर्णायक भूमिका निभा सकता है।
उप चुनाव में मुख्य मुकाबला सपा प्रत्याशी डिंपल यादव और भाजपा प्रत्याशी रघुराज सिंह शाक्य में है। लेकिन अन्य प्रत्याशियों की भूमिका भी तब अहम हो जाती है तो जब दोनों ही मुख्य प्रत्याशी जीत के लिए पुरजोर कोशिश कर रहे हैं। मैनपुरी जहां सपा का गढ़ है तो वहीं राज्य और केंद्र में सरकार चला रही भारतीय जनता पार्टी भी इस सीट को हर कीमत पर पाना चाहती है। ऐसे में अन्य प्रत्याशियों व बिखरे हुए मतदाताओं की भूमिका और भी अहम हो जाती है।
उप चुनाव के लिए कुल 13 नामांकन हुए थे, इसमें से सात नामांकन पत्र निरस्त हो गए हैं। इसमें सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के प्रत्याशी रामाकांत कश्यप का नामांकन निरस्त होना अहम है।
दरअसल मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र में 70 हजार वोट कश्यप समाज का है। कहीं न कहीं रमाकांत कश्यप को ये कश्यप समाज वोट करता, लेकिन अब उनके पास ये विकल्प नहीं बचा है। मजबूरन उन्हें अब मुख्य दलों में से एक को ही चुनना होगा। ऐसे में कश्यप वोट जिस प्रत्याशी को मिलेगा, उसकी जीत आसान हो जाएगी।
वहीं बसपा ने इस बार प्रत्याशी नहीं उतारा है। ऐसे में सवा लाख के करीब जाटव वोट भी विकेंद्रित हो गया है। इसे ही देखते हुए वोटर्स पार्टी इंटनरनेशल ने उर्मिला देवी को प्रत्याशी बनाया था। जाटव जाति से आने के चलते उर्मिला देवी भी जाटव वोट को प्रभावित करतीं। लेकिन उनका नामांकन निरस्त होने से फिर जाटव वोट फिर दिशाहीन हो गया है।
लोकसभा उप चुनाव के लिए सर्व समाज जनता पार्टी की ओर से करहल विधानसभा क्षेत्र के निवासी सुनील मिश्रा ने नामांकन दाखिल किया था। इससे छोटे पैमाने पर ही सही, लेकिन ब्राह्मण वोट प्रभावित जरूर होता। शुक्रवार को जांच में उनका नामांकन पत्र निरस्त कर दिया गया। पूर्व में हुए विधानसभा चुनाव 2022 में भी सुनील मिश्रा ने करहल विधानसभा क्षेत्र से अखिलेश के सामने नामांकन दाखिल किया था, जो निरस्त हो गया था।