पाकिस्तान में इन दिनों राजनीति का एक मुद्दा आर्मी चीफ की नियुक्ति बना हुआ है। विपक्ष हो या सरकार दोनों के लिए ही ये खास हो गया है। जहां एक तरफ पूर्व पीएम इमरान खान इस मुद्दे पर सरकार को घेरने में लगे हुए हैं वहीं दूसरी तरफ सरकार ने साफ कर दिया है कि नए आर्मी चीफ की नियुक्ति पारदर्शिता, योग्यता और नियमानुसार ही होगी। फिलहाल, सरकार ने इस मुद्दे पर मंगलवार और बुधवार में स्थिति पूरी तरह से स्पष्ट कर देने की बात कही है। आने वाले तीन दिनों में नए आर्मी चीफ का नाम सभी के सामने आ जाएगा।
इस बीच पाकिस्तान मीडिया में नए आर्मी चीफ के नाम पर जिन चेहरों की चर्चा सबसे अधिक हो रही है उनमें लेफ्टिनेंट जनरल आसिफ मुनीर, लेफ्टिनेंट जनरल मोहम्मद आमिर, लेफ्टिनेंट जनरल शमशाद मिर्जा, लेफ्टिनेंट जनरल अजहर अब्बास और लेफ्टिनेंट जनरल फैज हामिद का नाम शामिल है। भारत के लिए ये मुद्दा भले ही पूरी तरह से पाकिस्तान का आंतरिक मामला है लेकिन, भारत की भी इस पर पूरी निगाह लगी हुई है। इसकी कुछ बड़ी वजह भी हैं।
पाकिस्तान मीडिया में जिन चेहरों की चर्चा नए आर्मी चीफ के नाम पर हो रही है उसमें दो-तीन नाम बेहद खास हैं। इनमें एक नाम लेफ्टिनेंट जनरल आमिर का भी है। जनरल आमिर सिंध रेजीमेंट से हैं और पूर्व आर्मी चीफ राहिल शरीफ की उत्तरी वजरीस्तान में आतंकवाद विरोधी अभियान को अंजाम देने वाली कोर टीम के सदस्य रह चुके हैं। इसके अलावा वे गिलगिट बाल्टिस्तान पर बनी कमेटी के सदस्य भी हैं। दूसरा नाम लेफ्टिनेंट जनरल फैज हामिद का है जो बलूच रेजीमेंट से हैं और सिंध में इंफेंट्री डिवीजन के कमांडर रह चुके हैं। इसके अलावा वो देश की खुफिया एजेंसी के प्रमुख भी रह चुके हैं। ये एजेंसी पाकिस्तान की राजनीति और सेना की रणनीति दोनों में ही अहम भूमिका निभाती है। जनरल हामिद फिलहाल में जनरल हैडक्वार्टर में के पद पर हैं।
पाकिस्तान में इन नामों में से या फिर इससे अलग किसी दूसरे नाम से बनने वाला आर्मी चीफ भारत के लिए भी खासा मायने रखता है। राजनीतिक और रणनीतिक विश्लेषक कमर आगा का कहना है कि अब तक पाकिस्तान के जितने भी आर्मी चीफ बने हैं उनकी नीतियां भारत विरोधी ही रही हैं। इतना ही नहीं इनमें से कई के कार्यकाल में आतंकवाद बढ़ा भी है। कुछ के कार्यकाल में दोनों देशों के बीच युद्ध भी हुआ है जिसकी पटकथा भी पाकिस्तान के आर्मी चीफ ने ही लिखी थी। ऐसे में भारत के लिए पाकिस्तान का नया आर्मी चीफ, काफी मायने रखता है।
ये पाकिस्तान का भले ही अंदरूणी मामला है लेकिन भारत इससे अपनी नजरें नहीं फेर सकता है। पाकिस्तान का होने वाला आर्मी चीफ भारत की रणनीति में क्या बदलाव किया जाएगा इसको भी तय करेगा। देश की पाकिस्तान से लगती सीमाओं पर भारत आने वाले दिनों में क्या कुछ बदलाव करेगा ये भी पाकिस्तान के नए आर्मी चीफ की नियुक्ति काफी हद तक तय करेगी। आगा का कहना है कि ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है। दोनों ही देशों के लिए हमेशा से ही ये एक बड़ा मुद्दा रहा है कि उनके पड़ोसी देश में आर्मी की कमान किसके हाथों में है। इसलिए भारत के लिए भी ये मुद्दा बेहद खास है। इसकीअपनी एक अहमियत है।