मुजफ्फरनगर। पूर्व सांसद राजपाल सैनी ने लखनऊ में समाजवादी पार्टी ज्वाइन करने के दौरान आयोजित प्रेस वार्ता में कहा कि मुजफ्फरनगर में हुआ 2013 का दंगा भाजपा के लोगों की सोची समझी साजिश का नतीजा रहा। इसी दंगे ने सियासी तौर पर भाजपा की नींव मजबूत करने का काम किया था, जिसका लाभ भाजपा को चुनावों में मिला।
उन्होंने कहा कि मुजफ्फरनगर मेरा जिला है, 2013 में वहां पर जिस प्रकार से सामाजिक विघटन की साजिश धर्म और जाति के आधार पर की गयी, उसको काफी करीब से देखा गया है। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि हिन्दू और मुस्लिमों को एक साजिश रचकर मारा गया। इस दंगे की साजिश रचने वाले तथाकथित भाजपा के ही कार्यकर्ता थे।
इन लोगों ने जिले के अमन को आग लगाने का काम किया। उन्होंने कहा कि भाजपा के लोग भगवान राम के नाम पर राजनीति कर नारे लगाते हैं, लेकिन क्या भगवान राम केवल उनके ही हैं। उन्होंने अखिलेश यादव को यदुवंशी श्रीकृष्ण का वंशज बताते हुए कहा कि हमारे पास साक्षात ठाकुर हैं और भाजपा को हम चेताते हैं कि अपने गलत कार्यों से बाज आ जायें, वरना ठाकुर का सुदर्शन चक्र चल गया तो अच्छे अच्छे मैदान छोड़कर भाग जायेंगे।
उन्होंने कहा कि वह काफी दिनों से इस मंथन में थे कि आखिर अखिलेश यादव के नेतृत्व में कोई न कोई बात तो है जो आज पिछड़ा वर्ग उनके साथ खड़ा हो रहा है। उन्होंने मुख्यमंत्री रहते हुए पिछड़ों को सम्मान ही नहीं बल्कि ताकत देने का काम किया है। जबकि भाजपा ने अति पिछड़ों को मंदिर के नाम पर बहकाकर और मस्जिद के नाम पर भड़काकर उनको वोट हासिल किया, लेकिन सत्ता मिलने के बाद इस समाज को उचित प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया, कहीं दिया भी तो ताकत नहीं दी गयी। उन्होंने वादा करते हुए कहा कि पश्चिम क्षेत्र से 2022 से सपा के लिए विधानसभा चुनाव में बेहतर परिणाम देने का काम हम करेंगे और अखिलेश यादव के पक्ष में अति पिछड़ों का ज्यादा से ज्यादा वोट उनको दिलाया जायेगा।
जनता दल और इसके बाद सपा और बसपा में रहकर अपनी अलग पहचाने बनाने वाले पूर्व सांसद राजपाल सैनी सात अगस्त को सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के समक्ष लखनऊ में पार्टी के मुख्यालय पर आयोजित प्रेस वार्ता के बीच समाजवादी पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर ली। उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनावों से पूर्व चल रही सियासी उलटफेर के बीच पिछड़ा वर्ग में खास असर रखने वाले पूर्व मंत्री राजपाल सैनी का समाजवादी पार्टी में जाना वेस्ट यूपी की सियासत में पिछडे वर्ग की सियासी नीति में एक बडे बदलाव की ओर जाने के संकेत है। उनके बेटे शिवान सैनी भी समाजवादी पार्टी में शामिल हुए।
राजपाल सैनी ने 90 के दशक में जनता दल के प्रदेश महासचिव पद से राजनीति में एंट्री की थी। साल 1994 में पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह के कहने पर सपा में शामिल होने के बाद 1994 में मुजफ्फरनगर जिलाध्यक्ष सपा के पद से ताजपोशी के साथ पार्टी की रीढ बने रहे। हालांकि साल 1998 में बसपा में शामिल होकर बसपा जिलाध्यक्ष पद की
जिम्मेदारी भी उन्होेेेंने बखूबी निभाई। 1999 में मुजफ्फरनगर लोकसभा से सांसद का
चुनाव लड़े। 2002 में मोरना विधानसभा क्षेत्र में विधायक निर्वाचित होने के बाद राज्य सरकार में मंत्री बने। 2007 में बसपा सरकार में खाद बीज निगम के चैयरमैन बनाकर कैबिनेट का दर्जा उन्हें दिया गया। 2010 में बसपा से राज्यसभा सदस्य बने। 2017 में खतौली विधानसभा में बेटे शिवान सैनी को बसपा से चुनाव लडाया। अब जबकि यूपी में 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा बनाम सपा के चुनावी यु( की भूमिका तैयार हो रही है तो राजपाल सैनी पर सपा का दांव बड़े सियासी उलटफेर के रूप में देखा जा रहा है।