मुजफ्फरनगर. मुजफ्फरनगर उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट कोर्ट नंबर-एक प्रशांत कुमार ने मिलावटी मावा बेचने के जुर्म में दोषी को एक साल के कारावास एवं पांच हजार रुपये के अर्थदंड की सजा सुनाई। प्रकरण में 22 साल बाद फैसला आया।
अभियोजन अधिकारी रामअवतार सिंह ने बताया चरथावल थाना क्षेत्र के गांव कुटेसरा निवासी चोनू उर्फ इरफान दिसंबर वर्ष 1990 में गांव से मावा लेकर मुजफ्फरनगर बेचने के लिए आ रहा था। खाद्य विभाग की टीम ने कोतवाली क्षेत्र में शामली बस स्टैंड रोड़ स्थित उपकार बस सर्विस के पास चेकिंग के लिए उसे रोक लिया।
टीम द्वारा मावे का नमूना लिया गया। सेंपल लिए गए मावे को जांच के लिए प्रयोगशाला भिजवाया गया। लखनऊ में जांच में मावे का सेंपल मानक के विपरीत पाया गया। अभियोजन अधिकारी ने बताया मावे में निर्धारित मिल्क सेट 20 प्रतिशत से कम पाए जाने पर अभियोजन पक्ष ने आरोप पत्र दाखिल किया।
अदालत में खाद्य सुरक्षा अधिकारी बीके सक्सेना एवं अन्य गवाहों के बयान दर्ज कराए गए। अदालत ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद दोषी को खाद्य सुरक्षा निवारण अधिनियम की धारा 7/16 में एक साल का कारावास और पांच हजार रुपये के अर्थदंड से दंडित किया। मामले में अपील दाखिल करने के लिए कुछ दिन के लिए दोषी मावा विक्रेता को मुचलके पर छोड़ा गया है।