खतौली विधानसभा सीट को बीजेपी से आरएलडी ने छीन लिया है। अखिलेश यादव और जयंत चौधरी की सपा-रालोद गठबंधन के कैंडिडेट मदन भैया ने बीजेपी की राजकुमारी सैनी को 22143 वोट के अंतर से हरा दिया है। 27 राउंड की गिनती के बाद निकले इस नतीजे ने अखिलेश और जयंत को पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बीजेपी के दबदबे की काट का फॉर्मूला थमा दिया है। जाट और यादव वोटरों की ऑन ग्राउंड एकजुटता से ये साफ हो रहा है कि लखनऊ में होने वाले गठबंधन को पोलिंग बूथ पर कार्यकर्ता और वोटर भी स्वीकार करने लगे हैं। राजकुमारी सैनी को पोस्टल बैलट की गिनती में बढ़त मिली थी लेकिन बाद में हरेक राउंड की गिनती में वो मदन भैया से लगातार पिछड़ती चली गईं। मुजफ्फरनगर दंगा में बीजेपी विधायक विक्रम सैनी को दोषी ठहराए जाने के बाद खतौली सीट खाली घोषित की गई थी। भाजपा ने विक्रम की पत्नी राजकुमारी सैनी को मैदान में उतारा। चार बार विधायक रह चुके मदन भैया ने अपना पिछला चुनाव 15 साल पहले जीता था। इसके बाद वो गाजियाबाद के लोनी से 2012, 2017 और 2022 के चुनावों में लगातार तीन बार हार चुके हैं।
खतौली विधानसभा सीट के उपचुनाव के नतीजे आ गए हैं। समाजवादी पार्टी के गठबंधन से आरएलडी के उम्मीदवार मदन भैया ने बीजेपी की राजकुमारी सैनी को 22143 वोटों के अंतर से हरा दिया है। अखिलेश यादव और जयंत चौधरी ने 2022 का विधानसभा चुनाव साथ लड़ा था लेकिन तब खतौली सीट गठबंधन नहीं जीत सका था। बीजेपी के विक्रम सैनी इस सीट से जीते थे। विक्रम सैनी के सजायाफ्ता होने के बाद यह सीट खाली हो गई थी जिसके कारण उप-चुनाव हुआ। इस सीट पर बीजेपी ने विक्रम सैनी की पत्नी राजकुमारी सैनी को टिकट दिया जबकि आरएलडी ने मदन भैया को उतारा।
खतौली में सीएम योगी आदित्यनाथ समेत बीजेपी के कई नेताओं और मंत्रियों ने प्रचार किया जबकि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव प्रचार करने नहीं गए। इसके बावजूद खतौली सीट पर बीजेपी की 22 हजार से अधिक वोटों से हार ने बीजेपी कैंप में खलबली मचा दी है। पश्चिमी यूपी में बीजेपी काफी मजबूत है और लोकसभा से विधानसभा तक उसने यहां से काफी सीटें जीती हैं। खतौली में आरएलडी के मदन भैया की जीत से एक संदेश निकला है कि अखिलेश और जयंत के गठबंधन को जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं ने स्वीकार कर लिया है। नहीं तो कई बार ऊपर से नेता गठबंधन कर लेते हैं लेकिन जमीन पर कार्यकर्ता और वोटर ट्रांसफर नहीं होते।