मुजफ्फरनगर। 2018 इन्वेस्टर समिट में शामिल जिले के 22 उद्यमियों में से केवल 11 ही उद्योग लगा पाए। 11 के सामने जमीन नहीं मिलने और बैंक से लोन नहीं मिलने का संकट रहा। अब प्रशासन के सामने चुनौती यह है कि जो लोग निवेश के लिए प्रस्ताव दे रहे हैं, वे सभी उद्योग भी स्थापित करें। उद्यमी लगाातर सहूलियत बढ़ाने की मांग कर रहे हैं।

प्रदेश सरकार ने उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए पहला इन्वेस्टर समिट 2018 में आयोजित किया था। जिले से इसमें 22 उद्यमियों ने निवेश का प्रस्ताव दिया था। इनमें केवल 11 उद्योग ही जिले में स्थापित हो पाए। 11 उद्यमी कई कारण से उद्योग नहीं लगा पाएं। जमीन नहीं मिलने और बैंक के लोन देने से मना करने के कारण अधिक समस्या रही। जो 11 उद्योग स्थापित हुए, इनमें लक्ष्मी फूड्स, चक्रधर केमिकल, सिल्वरटोन पल्प, टिकौला शुगर मिल, किरण आर्गेनिक इंडस्ट्रीज, दौरली इस्पात, तिरूपति बालाजी फाइबर, तेजसरसायन, सत्यम डिकवर, एकेम इंडस्ट्रीज, बीएस एग्रीकल्चर इंप्लीमेंट शामिल है। इन उद्योगों में 375 करोड़ 60 लाख का निवेश हुआ और 1550 लोगों को रोजगार मिला।

लक्ष्य 1724 करोड़ के निवेश और 3955 लोगों को रोजगार का था। जो उद्योग नहीं लग पाए, इनमें भगवंत इंस्टीट्यूट को भूमि का मामला शासन में विचाराधीन है। बीएस एग्रीकल्चर को बैंक से ऋण ही नहीं मिल पाया। टिहरी पल्प ने मंदी के कारण निवेश नहीं करने का निर्णय लिया। स्टालवस्क ग्लोबल को बैंक ने कालेटरेल फ्री लोन नहीं दिया। राना इलेक्ट्रोड कंपनी को जमीन नहीं मिल पाई। अंकित गर्ग की टाइल्स कंपनी को जमीन नहीं मिल पाई। त्रिमूर्ति इंगट को बैंक ने फाइनेंस करने से मना कर दिया। बिंदल पेपर मिल को बैंक के मना करने पर निर्णय वापस लेना पड़ा। यूनिवर्सल ओवरसीज ने अपना आइडिया ड्राप कर दिया। 2018 के इन्वेस्टर समिट का जिले में केवल 50 प्रतिशत लाभ ही हुआ। निवेश तो केवल 20 प्रतिशत ही हो पाया।

इस पर इन्वेस्टर समिट को लेकर उद्यमियों में उत्साह है। हमारा पूरा प्रयास है कि निवेश के लिए जो प्रस्ताव आएंगे वह सभी उद्योग स्थापित हों।

निवेश के लिए उद्यमी प्रस्ताव देता है। इसके बाद बहुत सी समस्याएं आती हैं। कभी जमीन नहीं मिल पाती है तो कभी बैंक से ऋण की समस्या आ जाती है। जो प्रस्ताव जाता है, वह पूरी तरह सफल नहीं होता।