मुजफ्फरनगर। सिस्टम की लापरवाही से जिले के उद्यमियों की करोड़ों की सब्सिडी फाइलों में ही घूम रही है। पांच साल पहले 2018 में जिन उद्यमियों ने उद्योग लगाए थे, उन्हें सरकार से मिलने वाली कोई भी छूट अब तक नहीं मिली है। पर्यटन से जुडे उद्योगों की फाइल एमडीए में ही दबी हुई है।
2018 के इन्वेस्टर समिट में जिले के 22 उद्यमियों ने निवेश का प्रस्ताव दिया था, 11 उद्यमियों ने सरकार की शर्तों के आधार पर निवेश किया। इसी के साथ चार उद्योग पर्यटन विभाग की योजना के अंतर्गत लगाए गए, जिनमें बड़े रिसोर्ट शामिल है। प्रदेश सरकार ने उद्यमियों से वायदा किया था कि उन्हें मशीनों की खरीद पर कैपिटल सब्सिडी दी जाएगी। बैंक से लिए जाने वाले ऋण पर छूट मिलेगी। स्टेट जीएसटी, बिजली दर और निर्यात में छूट का प्रावधान था। पांच साल होने को हैं अभी तक एक भी उद्यमी को किसी भी प्रकार की छूट का लाभ नहीं मिला। योजना में उद्योग लगाने वाले अर्पित गर्ग का कहना है कि हम फाइल की प्रक्रिया पूरी कर विभाग को दे चुके है। अफसर कह रहे हैं कि इस वित्तीय वर्ष में छूट का पैसा मिल सकता है। अभी तक हमें कुछ नहीं मिला है। सभी 11 उद्यमियों का छूट का पैसा सरकार पर बकाया है।
पर्यटन उद्योग के अंतर्गत जिले में चार उद्योग स्थापित हुए है। इनमें हाइवे पर मंसूरपुर के पास नमस्ते, देवराना, सोलिटियर और रेडियंट इन शामिल है। इन रिसोर्ट के मालिकों को एमडीए ने विकास शुल्क में छूट तो दी है, बाकी कोई लाभ नहीं मिल पाया। पर्यटन विभाग एमडीए की कार्य पूर्ण की रिपोर्ट के आधार पर छूट का पैसा देता है। रिसोर्ट बनाने में बैंक से जो ऋण लिया गया उसमें 15 प्रतिशत की छूट का वादा सरकार ने किया था। देवराना और नमस्ते दोनों ही एमडीए में कार्य पूर्ण होने के प्रमाण पत्र के लिए आवेदन दे चुके हैं, लेकिन एमडीए की ओर से फाइल आगे नहीं बढ़ी है। देवराना को छूट का लगभग एक करोड़ और नमस्ते को 15 करोड़ मिलना है। नमस्ते के संचालक अरविंद राठी का कहना है कि अब हमने सीधे शासन से संपर्क किया है। नई पॉलिसी में एमडीए के प्रमाण पत्र से मुक्ति मिल सकती है।
जिला उद्योग केंद्र के उपायुक्त परमहंस मौर्य का कहना है कि हम लोगों ने उद्यमियों की फाइलों की जटिलताओं को दूर करा दिया है। आठ उद्यमियों की फाइल छूट के छह करोड़ के लिए शासन को भेजी गई है। यह पैसा शीघ्र ही उद्यमियों को मिल सकता है। बाकी के मामलों में कार्रवाई चल रही है।
एमएडी सचिव आदित्य प्रजापति ने कहा कि चार उद्योग इन्वेस्टर समिट में पर्यटन के माध्यम से लगे हैं। इन उद्योगों को विकास शुल्क में छूट दी गई है। दो उद्योगों का कार्य पूर्ण नहीं हुआ है। दो उद्योगों ने प्रमाण पत्र मांगे हैं, एमडीए के नक्शे के अनुसार इन्होंने काम किया है या नहीं इसकी जांच कराकर कार्य पूर्ण का प्रमाण पत्र दिया जाएगा।
यूपी टूरिज्म मेरठ की क्षेत्रीय अधिकारी अंजू चौधरी ने कहा कि नई पॉलिसी 2022 में एमडीए के प्रमाण पत्र की बाध्यता समाप्त हो जाएगी। जिन लोगों का छूट का पैसा बकाया है वह अपनी फाइल भेज सकते हैं जल्द ही शासन से पैसा दिलाया जाएगा।
आईआईए के चेयरमैन विपुल भटनागर का कहना है कि सरकार के वायदों पर विश्वास करके उद्यमियों ने निवेश किया था, लेकिन 2018 में बनी छूट की पॉलिसी का लाभ एक भी उद्यमी को नहीं मिला। लखनऊ में होने वाले इन्वेस्टर समिट से पहले सरकार उद्यमियों को उनका छूट का पैसा दे।