बागपत, रटौल। गन्ने का भाव और भुगतान नहीं मिलने से दुखी होकर आलू की खेती की खेती की, लेकिन आलू से किसानों को जोर का झटका लगा है। आलू की खोदाई शुरू हो चुकी है, लेकिन किसानों को सिर्फ पांच रुपये किलो का भाव मिल रहा है। गाजियाबाद की लाल बाग मंडी में आलू पहुंचा रहे किसानों को 50 किलो के बोरे के दाम सिर्फ 250 से तीन सौ रुपये मिल रहे हैं।
लाखों रुपये की लागत लगाकर आलू पैदा करने वाले किसान हैरान और परेशान हैं। किसानों का कहना है कि 25 रुपये किलो का बीज लेकर फसल की बुवाई की थी, मगर अब किसानों को पांच रुपये किलो में आलू बेचने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। रटौल के अलावा लहचौड़ा, गोना, सर्फाबाद, भैड़ापुर, सिंगोली, भेड़ापुर, विनयपुर, भागौट, गढ़ी नवादा, बड़ा गांव खैला गावों के किसान गन्ने की खेती छोड़कर आलू की खेती कर रहे हैं। क्षेत्र में हजारों हेक्टेयर भूमि पर किसानों ने आलू की बुवाई की हुई है। फसल की पुखराज, एसफ़ॉर, पुष्कर की खुदाई शुरु हो गई है। आलू का भाव कम होने के कारण किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। किसानों का कहना है कि पहले मौसम की मार के कारण आलू का उत्पादन प्रभावित हो गया है अब मंडी में सही दाम न मिलने के कारण नुकसान उठाना पड़ रहा है।
गन्ने का समय पर भुगतान न होने के कारण इस बार आलू की बुवाई की थी, मगर मंडी में सिर्फ पांच रुपये किलो का भाव मिल रहा है। लागत भी वसूल नहीं हुई है। आलू का 25 रुपये प्रति किलो का बीज लेकर बुवाई की थी।
आलू की खुदाई शुरू होते ही दाम कम हो गया है। किसानों का आलू कोल्ड स्टोर में रखा जाएगा और कुछ दिन बाद ही महंगा हो जाएगा। किसानों से आलू की खरीद के दाम तय किए जाने चाहिए।
मौसम खराब होने से पहले की आलू की पैदावार घट गई है, अब सही भाव न मिलने के कारण किसानों को आर्थिक संकट से जूझना पड़ रहा है।
मंडी में मंदा और बाजार में बिक रहा महंगा रटौल सब्जी मंडी के आढ़ती मुकेश, रजाहसन, जहांगीर ने बताया कि 50 किलो का कट्टा 250 से 300 के भाव मंडी में बिक रहा है और बाजार में आलू का भाव फुटकर में पांच रुपये किलो बेचा जा रहा है।