अंतरिक्ष में हर दिन अदभुत घटनाएं होती रहती हैं. इनमें से कुछ ही धरती से नजर आती हैं. कुछ आ‍काशीय घटनाएं ऐसी भी होती हैं, जिनको देखने के लिए टेलिस्‍कोप की भी जरूरत नहीं होती. दूसरे शब्‍दों में कहें तो ऐसी घटनाओं को हम नंगी आंखों से भी देख सकते हैं. ऐसी ही एक आकाशीय घटना 1 या 2 फरवरी को होने वाली है. कल ‘हरा धूमकेतु’ एक फिर धरती के काफी नजदीक से गुजरेगा. ये धूमकेतु पिछली बार 50,000 साल पहले यानी हिमयुग में दिखाई दिया था. कुछ समय पहले खोजे गए नए कॉमेट C/2022 E3 (ZTF) को को ही ‘हरा धूमकेतु’ कहा जा रहा है. ज्‍यादातर धूमकेतु पीली, सफेद या नीली रोशनी बिखरते हैं. आइए जानते हैं कि ये धूमकेतु हरी रोशनी क्‍यों निकाल रहा है?

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) ने जनवरी 2023 की शुरुआत में बताया था कि खगोलविदों ने ग्रीन कॉमेट को मार्च 2022 में ज़्विकी ट्रांजिएंट फैसिलिटी में वाइड-फील्ड सर्वे कैमरा की मदद से पहली बार देखा. उस दौरान हरा धूमकेतु बृहस्पति ग्रह की कक्षा में था. उस समय इसकी चमक काफी बढ़ गई थी. बता दें कि धूमकेतु जमी हुई गैसों, चट्टानों और धूल से बने कॉस्मिक स्‍नोबॉल होते हैं. धूमकेतु सूर्य की परिक्रमा करते हैं. ये आकाशीय पिंड जमे हुए होने पर काफी छोटे होते हैं. लेकिन, सूरज के करीब पहुंचने पर गर्म हो जाते हैं और गैस व धूल का चमकदार गुबार अपने पीछे छोड़ते जाते हैं.

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क्‍या है हरा धूमकेतु?

नासा ने साल की शुरुआत में बताया था कि कॉमेट सी/2022 ई3 (ज़ेडटीएफ) आंतरिक सौर मंडल से गुजर रहा है. उस समय नासा ने कहा था कि अगले कुछ हफ्तों में हरा धूमकेतु धरती के करीब पहुंचेगा. सभी कॉमेट की ही तरह हरा धूमकेतु भी धूल, पत्थर, बर्फ और गैस से बना है. ये भी सूर्य के चारों ओर चक्कर लगा रहा है. हरा धूमकेतु उल्कापिंड के मुकाबले ज्यादा तेज गति से चक्कर लगा रहा है. हरा धूमकेतु चक्‍कर लागते हुए धीरे-धीरे सूर्य के करीब आने पर गर्म होकर चमक रहा है.

अब ये सवाल उठना लाजिमी है कि हरा धूमकेतु बाकी कॉमेट की तरह पीली, लाल, सफेद या नीली रोशनी क्‍यों नहीं निकाल रहा है? ये हरी रोशनी ही क्‍यों निकाल रहा है. हरे धूमकेतु में डाई एटॉमिक कार्बन और साइनोजेन मॉलीक्यूल होते हैं. ये दोनों अणु सूर्य की पराबैंगनी किरणों के संपर्क में आते हैं तो चार्ज होकर हरे रंग की रोशनी का उत्‍सर्जन करते हैं. इस मामले में हम इसकी हरी रोशनी को नंगी आंखों से भी देख पाएंगे. बता दें कि जहरीली साइनोजेन गैस नाइट्रोजन और कार्बन के मिलने से बनती है.

खगोलविदों के मुताबिक, इससे हमारी धरती पर किसी तरह के खतरे की कोई आशंका नहीं है. दरअसल, हरा धूमकेतु धरती से 425 लाख किलोमीटर (264 लाख मील) की दूरी से गुजरेगा. बता दें कि इससे पहले 1997 में भी धरती से हेल बॉप्‍प नाम के ग्रीन कॉमेट को देखा गया था. इसके बाद 2006 में हरे धूमकेतु मैकनॉट को भी देखा गया था.