बरेली. 11 जुलाई 2020 से बरेली जिला जेल में बंद माफिया अतीक के भाई अशरफ को वीआईपी दर्जा मिलता रहा। इस दौरान हर महीने बड़े अफसर भी निरीक्षण करने आते। उन्हें निरीक्षण में ‘सब ठीक’ मिलता। जब राजू पाल हत्याकांड के मुख्य गवाह उमेश पाल की हत्या की जांच शुरू हुई तो निरीक्षण की पोल खुल गई।
अब जेल में लगे 210 कैमरे इन सहूलियतों की पोल खोल रहे हैं। एसआईटी को इन कैमरों को खंगाल रही है। बुधवार को भी एसआईटी ने जेलकर्मियों के बयान दर्ज किए। बिना जेल प्रशासन की मर्जी के जेल में परिंदा भी पर नहीं मार सकता था लेकिन जेल अधिकारियों के सरपरस्ती में जेल के अंदर अशरफ मौज कर रहा था।
जेल में लगे सीसीटीवी के कारण जेल के बाहरी गेट के अंदर किसी मुलाकाती को मोबाइल ले जाने की अनुमति नहीं थी। कोई मुलाकाती वाहन भी अंदर नहीं ले जा सकता था लेकिन फिर भी अशरफ के करीबी जेल नियमों को ताक पर रखकर उससे मुलाकात करते थे।
फरवरी की सीसीटीवी फुटेज से जेल स्टाफ द्वारा छेड़छाड़ की गई थी। ऐसे में अंदेशा है कि अशरफ की सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मियों और जेल अधिकारियों के मोबाइल में अहम डाटा हो सकता है जिसे शायद मिटा दिया गया होगा। एसआईटी जेल स्टाफ के मोबाइल का डाटा रिकवरी के लिए लैब भेज सकती है।
पुलिस की कोशिश है कि लल्ला गद्दी के न्यायालय में समर्पण करने से पहले उसे पकड़ लिया जाए। लल्ला गद्दी ने न्यायालय में समर्पण प्रार्थना पत्र लगाया है। 16 मार्च को पुलिस से रिपोर्ट तलब की गई है। सूत्रों के मुताबिक लल्ला गद्दी पुराने मामले में भी जमानत तुड़वाकर जेल जा सकता है। न्यायालय में समर्पण करने पर एसआईटी उसे रिमांड पर ले सकती है।
जेल में बंद पूर्व विधायक अशरफ ने पुरानी घटनाओं की तर्ज पर अपने साले सद्दाम को बचाने के लिए पहले ही तानाबाना बुना था। दरअसल, जिस दिन अतीक का बेटा असद चाचा अशरफ से मिलने बरेली आया था, उस दिन सद्दाम की लोकेशन दिल्ली में मिली है। वहीं जिस दिन उमेश पाल हत्याकांड को अंजाम दिया गया, उस दिन भी सद्दाम दिल्ली में था। ऐसे में गिरफ्तारी कोर्ट में सद्दाम को इन तकनीकी बिंदुओं का लाभ मिल सकता है।
बरेली जिला जेल में अशरफ से मुलाकात कराने और सहूलियत दिलाने में नामजद सद्दाम और लल्ला गद्दी की तलाश में आठ टीमें जुटी हैं। प्रयागराज में उमेश पाल हत्याकांड के बाद बरेली में अशरफ के गुर्गे एजेंसियों के रडार पर आ गए थे। पहले अफसरों ने लल्ला गद्दी व उसके जैसे छुटभैयों को इसलिए ढील दी ताकि उनके आका और नेटवर्क का पता लगाया जा सके।
अब माहौल सख्त होते ही आरोपी भूमिगत हो गए हैं। जैसे ही लल्ला गद्दी को मुकदमा दर्ज होने की भनक लगी, वह परिवार समेत फरार हो गया। अब सर्विलांस से भी उसकी लोकेशन नहीं मिल रही।
उसने अपने सभी मोबाइल नंबर बंद कर लिए हैं। पुलिस की छह टीमें, एसटीएफ और एसओजी उसके पीछे पड़ी हैं। डर से उसके करीबी भी शहर छोड़कर भाग गए हैं। लल्ला गद्दी के हाथ आते ही कई राज सामने आ सकते हैं।