लखनऊ। सपा नेता आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम खान की विधायकी बहाल होगी या नहीं, यह सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर निर्भर करेगा. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने अब्दुल्ला आजम के खिलाफ 15 साल पुराने एक मामले में यूपी सरकार का पक्ष सुने बिना उनकी दोष सिद्धि और सजा पर रोक से इनकार कर दिया. जस्टिस केएम जोसेफ और बीवी नागरत्न की बेंच ने सीनियर एडवोकेट विवेक तन्खा और एडवोकेट सुमीर सोढी से याचिका की एक कॉपी उत्तर प्रदेश सरकार के स्थाई वकील को भेजने के लिए कहा. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने केस की अगली सुनवाई के लिए 5 अप्रैल की तारीख तय कर दी.
बता दें कि अब्दुल्ला आजम खान के वकील विवेक तन्खा का कहना है कि अपराध के समय अब्दुल्ला आजम खान नाबालिग थे और इसलिए उनकी दोष सिद्धि व सजा पर रोक लगनी चाहिए. इस पर सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि माफ करिए, पर इसके लिए हमें राज्य का पक्ष भी सुनना होगा.
सुनवाई के दौरान वकील विवेक तन्खा ने कहा कि वारदात के वक्त अब्दुल्ला आजम खान किशोर थे और हाईकोर्ट ने सेशन कोर्ट के फैसले पर स्थगनादेश नहीं देकर गलती की है. जान लें कि सुमीर सोढी के जरिए दायर याचिका में अब्दुल्ला आजम खान ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के 17 मार्च के फैसले को चुनौती दी है जिसमें कोर्ट ने अपील पर राज्य से 3 हफ्ते के भीतर जवाब देने को कहा है.
गौरतलब है कि 29 जनवरी 2008 को पुलिस ने आजम खान की गाड़ी को चेकिंग के लिए रोका था. इस पर आजम खान के समर्थक भड़क गए थे. फिर उन्होंने जमकर बवाल काटा था. इस मामले में फिर अब्दुल्ला समेत 9 लोग आरोपी बनाए गए थे. इस केस में पुलिस ने हंगामा करने वाले लोगों पर सरकारी कार्य में बाधा डालने और लोगों को उकसाने के आरोप में मामला दर्ज किया था. कोर्ट इस केस में आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम को दो-दो साल की सजा सुना चुका है. इसके बाद अब्दुल्ला आजम की विधायकी चली गई थी.