नई दिल्ली। भारत को दुनिया का डायबिटीज राजधानी भी कहा जाता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि देश में करीब 8 करोड़ लोग इस बीमारी के साथ जी रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय डायबिटीज फेड्रेशन के मुताबिक, ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि साल 2045 तक यह आंकड़ा बढ़कर 1.35 करोड़ हो जाएगा। साल 2019 से यह आंकड़ा 16 फीसदी बढ़ चुका है।

कई लोगों में इस बीमारी का निदान तक नहीं होता। जब डायबिटीज का इलाज न किया जाए, तो यह जानलेवा बीमारियों और समस्याओं का कारण बन जाती है। जिसमें हार्ट अटैक, स्ट्रोक, किडनी फेलियर आदि शामिल है।

डायबिटीज होने पर दिल की बीमारी का खतरा भी बढ़ जाता है। हाई ब्लड शुगर की वजह से रक्त प्रवाह प्रभावित होता है, जिसका असर दिल पर भी पड़ने लगता है। ब्लड प्रेशर और हाई कोलेस्ट्रॉल के साथ डायबिटीज भी दिल को बीमार करने का काम करती है।

अगर आपको डायबिटीज है, तो आपको किडनी की बीमारियों के बारे में भी पता होना चाहिए। किडनी रोग के संकेतों को अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है और जब तक पता चलता है तब तक काफी देर हो चुकी होती है। डायबिटीज के मरीजों में किडनी की बीमारी आमतौर पर देखी जाती है।

डायबिटीज होने पर डायबिटिक न्यूरोपैथी की स्थिति भी बन जाती है। इसमें हाई ब्लड शुगर के स्तक की वजह से तंत्रिका को क्षति पहुंचती है। नुकसान पहुंचने की वजह से यह शरीर के अंगों तक संकेत भेजने में नाकाम होने लगती हैं, जिससे अंगों का फंक्शन धीरे-धीरे धीमा पड़ जाता है। डायबिटिक न्यूरोपैथी के सबसे आम प्रभावों में से एक रेटिनोपैथी है।

डायबिटीज और अवसाद एक दूसरे से जुड़ा हुआ है। लेकिन कई बार इस बीमारी से जुड़े मिथक भी मरीजों में बेचैनी और चिड़चिड़ापन पैदा करते हैं। इसलिए यह कहना गलत नहीं है कि डायबिटीज शारीरिक स्वास्थ्य के साथ मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर करती है।

डायबिटीज होने पर मुंह में थूक का उत्पादन कम होता है, जिससे मुंह अक्सर सूखने लगता है। और यही कीटाणुओं के लिए पर्फेक्ट जगह भी बन जाती है। डायबिटीज की वजह से मसूड़ों में सूजन और ब्लीडिंग भी होने लगती है। साथ ही डायबिटीज की वजह से मुंह के छालों को ठीक होने में भी समय लग सकता है।

तंत्रिका और रक्त वाहिकाएं ब्लड फ्लो को नुकसान पहुंचाती है, जिससे यौन अंगों पर भी असर पड़ता है। पुरुषों और महिलाओं में इस वजह से यौन ड्राइव भी कम हो जाती है, खासकर जब ब्लड शुगर का स्तर उच्च हो।