मुजफ्फरनगर। बहुप्रतीक्षित शहर पालिका सीट के चुनावी मुकाबले में मतदाताओं की कछुआ चाल से प्रत्याशियों का गणित गड़बड़ाने लगा है। भाजपा और गठबंधन के बीच नजदीकी मुकाबला हुआ। बूथों पर मुस्लिम मतों में बिखराव नजर नहीं आया। जिले में भाजपा के सामने इस बार पिछले चुनाव की कामयाबी दोहराने की चुनौती भी खड़ी नजर आ रही है। बसपा और कांग्रेस मुख्य मुकाबले से बाहर नजर आ रही है।

शहर पालिका सीट भाजपा का गढ़ रही है, लेकिन सियासी समीकरण के दम पर कांग्रेस ने पिछले दो चुनाव में जीत दर्ज की थी। इस बार भाजपा की प्रत्याशी मीनाक्षी स्वरूप का मुकाबला सपा, रालोद और आसपा गठबंधन की प्रत्याशी लवली शर्मा से हुआ। मतदान के कम प्रतिशत ने दोनों दलों के गणित को उलझा दिया है। शहर पालिका सीट पर 421420 मतदाताओं में से सिर्फ दो लाख 11 हजार 491 मतदाताओं ने ही मतदान किया।

भाजपा के गढ़ नई मंडी और गांधी कॉलोनी में मतदान की रफ्तार उम्मीद से धीमी रही। जबकि विस्तार के बाद पालिका में शामिल किए गए मुस्लिम मतों की अधिकता वाले सुजडू और सरवट में मतदान अधिक हुआ। खालापार, किदवई नगर, मल्हूपुरा, लद्दावाला, मिमलाना रोड समेत अन्य मुस्लिम आबादी के क्षेत्र में मतदाताओं ने उत्साह दिखाया। मतदान के बाद अब दोनों दलों के समर्थक अपना-अपना गणित फलाने में लगे हुए हैं।

अब देखने वाली बात यह होगी कि भाजपा प्रत्याशी मीनाक्षी स्वरूप का परिवार मुस्लिम मतों में कितनी सेंधमारी कर पाया है। अनुसूचित जाति के मतदाताओं का रुझान भी नजदीकी मुकाबले में निर्णायक भूमिका निभा सकती है।

गठबंधन के समर्थक मुस्लिम, ब्रहामण, अनुसूचित जाति और जाट मतों का गणित अपने पक्ष में जोडकऱ खुद को मजबूत आंक रहे हैं।

निकाय चुनाव में भाजपा और गठबंधन के बीच कड़ा मुकाबला हुआ है। सपा, रालोद, आसपा गठबंधन विधानसभा चुनाव की कामयाबी दोहराने की जुगत में है। जबकि भाजपा लोकसभा से पहले निकाय चुनाव भाजपा के लिए अहम साबित होने जा रहे हैं।

निकाय चुनाव में बसपा मुस्लिम और दलित मतों का समीकरण बनाती नजर नहीं आई। यही वजह है कि हाथी मुख्य चुनावी मुकाबले से बाहर नजर आ रहा है। अनुसूचित जाति के मतदाताओं पर आजाद समाज पार्टी का रंग चढ़ा, जिससे गठबंधन को फायदा नजर आ रहा है।