छपार (मुजफ्फरनगर)। खराब कार्यशैली पर एसएसपी संजीव सुमन ने पुलिसकर्मियों के पेंच कसने शुरू किए तो मामला और अधिक बिगड़ गया। अदालत से जारी हुए वारंट पर छपार पुलिस ने बिना ठोस जांच किए आरोपी के नाम के ही दूसरे व्यक्ति को जेल भेज दिया। अदालत तक मामला पहुंचा तो पुलिस से आख्या मांगी गई है।
शुक्रवार को एसएसपी ने भोपा और मंसूरपुर एसओ पर सख्ती की। कप्तान सख्त हुए तो पुलिस अलर्ट हो गई। मगर, चौकन्नी पुलिस से छपार में चूक हो गई। अदालत ने छपार निवासी संजय पुत्र बीरबल के पुराने मामले में गैर जमानती वारंट जारी कर दिए थे। पुलिस वारंट के आधार पर छपार के ही रहने वाले दूसरे संजय पुत्र बीरबल को पकड़कर थाने ले आई। पकड़े गए संजय ने पुलिस को बताया कि वह अपने मुकदमे की तारीख भुगत चुका है, उसके वारंट नहीं हुए है। मगर, पुलिस ने एक नहीं सुनी और उसे अदालत में पेश कर दिया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया।
जेल गए संजय के अधिवक्ता ने अदालत को पुलिस की चूक के बारे में जानकारी दी। अदालत को बताया कि जो संजय जेल गया हैं, वास्तव में उसका वारंट जारी नहीं हुआ था, वह बेकसूर है। कोर्ट ने तुरंत इस मामले में संज्ञान लेते हुए छपार पुलिस से आख्या प्रस्तुत करने के आदेश जारी कर दिए हैं।
प्रभारी निरीक्षक अमरपाल शर्मा का कहना है कि पकड़े गए युवक ने पुलिस को नहीं बताया कि वारंट उसका नहीं हैं। जबकि उसे थाने लाने के दो घंटे बाद कोर्ट में पेश किया गया था। दोनों संजय पर छेडछाड़ के मुकदमे दर्ज हैं। सीओ सदर यतेंद्र नागर ने कहा कि कोर्ट ने इस मामले में आख्या मांगी है। पुलिस अपने पक्ष कोर्ट के सामने रखेगी।