45 साल के प्रकाश, दिल्ली में प्रतिष्ठित मल्टी नेशवल आईटी कंपनी में सॉफ्टवेयर डेवलेपर थे। वह खेलकूद के बहुत शौकीन थे। वह अक्सर अपने दोस्तों के साथ क्रिकेट खेलने जाते थे। हालांकि एक दिन वह खेलते समय मैदान में गिर गए और खड़े नहीं हो पाए। उन्हें बहुत भयंकर दिल का दौरा पड़ा। डॉक्टरों ने उनका इलाज किया, लेकिन कुछ ही घंटों में उनकी मौत हो गई थी। डॉक्टरों ने पाया कि वह ब्‍लॉक्‍ड ब्‍लड वेसेल्‍स से पीड़ित थे, जिससे हृदय की मांसपेशियों में रक्‍त की आपूर्ति कम हो गई थी।

दिल्ली स्थित फोर्टिस एस्‍कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट में इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी के डायरेक्टर डॉ. विशाल रस्तोगी के अनुसार, भारत में हाल ही में नौजवानों में हार्ट अटैक की घटनाएं काफी देखने में आई है। 35 से 50 साल के आयुवर्ग के लोगों की दिल के रोगों से होने वाली मौत के चलते काफी बढ़ोतरी हुई। दिल के रोग भारत में मरीजों की मौत का प्रमुख कारण है। आज भारत में 4 में से 1 व्यक्ति की मौत सीवीडी से होती है। महामारी के बाद के दौर में निष्क्रिय जीवनशैली, हानिकारक फूड आइटम खाने की आदत और बेहद तनाव कई अन्य कारक है, जिससे हृदय रोगों में काफी बढ़ोतरी हुई।

डॉक्टर के अनुसार, स्वस्थ लोगों की हार्ट अटैक से हुई मौत सभी लोगों के लिए संदेश है कि फिट दिखना स्वस्थ हृदय का संकेत नहीं है। जिम में काफी समय बिताने और पौष्टिक भोजन लेने के बावजूद लोगों की जीवनशैली से जुड़ी दूसरी आदतों जैसे धूम्रपान और शराब के सेवन से लोगों में समय से पहले दिल की गड़बड़ी पैदा होती है। कोरोनेरी धमनी का मुख्य काम हृदय तक रक्‍त, ऑक्सिजन और पोषक तत्वों की सप्लाई करना है। सीएडी तब होता है, जब वसा, कोलेस्ट्रोल, प्लेटलेट्स और कैल्शियम के कारण कोरोनेरी धमनी की कार्यप्रणाली में रुकावट आती है।

दिल की धमनियों में जमा कोलेस्ट्रोल प्लाक कहा जाता है, जो धमनियों को सिकोड़ देता है। इससे दिल में रक्त का प्रवाह कम होता है। सांस लेने में तकलीफ होती है, सीने में दर्द होता है और कुछ मामलों में दिल में पूरी तरह ब्लॉकेज हो जाता है। बाद में इससे हार्ट अटैक होता है। क्योंकि सीएडी को विकसित होने में कई साल लगते हैं। हो सकता है कि इसके लक्षण शुरुआत में नजर न आए। इसलिए युवावस्था में दिल की नियमित रूप से जांच करानी चाहिए। यह हृदय रोगों से होने वाली मौत की संख्या में कटौती करने के लिए बेहद जरूरी है।

हार्ट स्‍टंट्स- इस डिवाइस से कोरोनेरी धमनी के रोग के बढ़ते बोझ को कम करने में मदद मिली है। दिल के रोगों का पता लगाने की नई प्रणाली के उभरने से मरीजों का केवल मामूली ऑपरेशन करना होता है। स्‍टंट्स से ब्लॉक हुई धमनी से जूझते मरीजों के रोग के लक्षणों में सुधार आया है।

यह हृदय रोगों की देखभाल में सहसे प्रमुख परिवर्तन के कारक बनकर उभरे हैं, जो सभी तरह के मरीजों की जरूरतों को पूरा करती है। यह डायबिटीज, पूरी तरह ब्लॉक धमनी या कई तरह के घावों जैसी चुनौतीपूर्ण स्थितियों का इलाज करने में मदद मिलती है। डीईएस प्लेस करने में बहुत आसान है। इससे मरीजों का बेहतर इलाज सुनिश्चित होता है। दवाएं भी हैं असरदार- स्‍टंट्स बदलने के बाद बेहतर जीवन जीने के लिए डॉक्टर कई तरह की दवाइयों का सुझाव देते हैं। मरीज को डॉक्टर की बताई गई दवाई और परहेज को नियमित रूप से करना चाहिए क्योंकि डॉक्टरों के परामर्श से ली जानी वाली दवाइयों से ब्लड का क्लॉट हटाने में मदद मिलती है।

हृदय की समस्याओं से जुड़े जोखिम के कारकों को नियंत्रण में रखने के लिए स्वस्थ जीवन शैली अपनाना बहुत जरूरी है
क्योंकि बचाव हमेशा बेहतर और इलाज से किफायती होता है
शरीर के वजन को मेंटेन रखने के लिए नियमित रूप से कसरत करनी चाहिए
पौष्टिक भोजन का सेवन करना चाहिए, जिससे शरीर में बैड कोलेस्ट्रोल बढ़ने की संभावना कम होगी