मुजफ्फरनगर। बाइक को लेकर हुए विवाद के बाद महमूदनगर जल उठा था। आगजनी और तोडफ़ोड़ की गई। पुलिस पर हमले का मामला लखनऊ तक गूंजा था। सीबीसीआईडी ने मामले की जांच की। वारदात के कुल तीन मुकदमे दर्ज हुए थे।

बाइक के विवाद में 14 फरवरी 2003 को सुबह जाकिर सभासद और उस्मान प्रधान पक्ष आमने-सामने आ गए थे। झगड़े में उस्मान के साले साजिद की मौत हो गई थी, जिसके बाद सैकड़ों लोग मौके पर जमा हो गए। इसके बाद मौके पर पहुंची पुलिस पर हमला कर दिया गया था। प्रकरण में तीन मुकदमे दर्ज हुए थे। जाकिर और उस्मान पक्ष की ओर से एक-दूसरे के खिलाफ दर्ज कराए मुकदमे में दोनों पक्ष आपस में फैसला कर चुके हैं, जबकि पुलिस पर हुए हमले का मामला कोर्ट में विचाराधीन है। आरोपियों पर दोष सिद्ध हो चुका है और 24 अगस्त को फैसला आएगा।

महमूदनगर निवासी इंतजार, इस्लाम, युनूस, सलीम, नौशाद, आस मोहम्मद, मोहम्मद नफीस, नफीस, मोहम्मद शमीम, शकील, मोहम्मद अनीस, सलीम जावेद, मोहम्मद सलीम, इरफान, मोहम्मद मुस्तकीम, इमरान, आलम, गय्यूर, अनीस, नौशाद, जीशान, अब्दुल कादिल, राशिद, शहजाद, नूर मोहम्मद, मोहम्मद माजिद, शहजाद, मुकीम, फखरुद्दीन, आबिद, अख्तर, नजमू, अहसान, मोबीन, नसीम और मोहम्मद आरिफ पर दोषा सिद्ध हुआ है।

मुजफ्फरनगर। शासकीय अधिवक्ता फौजदारी राजीव शर्मा और सहायक शासकीय अधिवक्ता फौजदारी परविंद्र ने बताया कि 36 आरोपियों पर जानलेवा हमले की धारा 307 के अलावा धारा 332, 353 और 149 आईपीसी में दोष सिद्ध किया है। तत्कालीन एसएसपी भजनीराम मीणा वर्तमान में एडीजी लखनऊ और एसपी सिटी अरुण कुमार गुप्ता आईजी रहे हैं। हमले में कुल चार पुलिसकर्मी घायल हुए थे।