मुजफ्फरनगर| किसान मजदूर संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष ठाकुर पूरन सिंह ने कहा कि यदि घटक दलों की सरकारों ने किसानों के मुद्दे पर घोषणा पत्र नहीं बनाया तो 2024 में देश में किसान-मजदूरों की सरकार बनेगी। किसानों की अनदेखी बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

मुजफ्फरनगर जिले के बुढ़ाना में बृहस्पतिवार को बड़ौदा गांव के देवी मंदिर में किसान मजदूर संगठन के 10वें स्थापना दिवस पर किसान मजदूर अधिकार पंचायत का आयोजन हुआ। मुख्य वक्ता ठाकुर पूरन सिंह ने कहा कि देश और प्रदेश की सरकार किसानों की अनदेखी बंद कर दे। यदि 2024 के चुनाव में किसानों के मुद्दों को घोषणा पत्र में शामिल नहीं किया तो किसान बड़ा निर्णय लेने से पीछे नहीं हटेगा। वह देश में राजग हो या फिर इंडिया की नहीं, बल्कि खुद की सरकार बनाएंगे।

उन्होंने बताया कि 10 वर्ष पूर्व रोनी हरजीपुर में संगठन की स्थापना हुई थी। संगठन ने 10 सालों में विभिन्न स्तर पर किसानों के लिए आंदोलन किए। विभिन्न प्रांतों और जिलों में संगठन का कुनबा बढ़ रहा है। राष्ट्रीय प्रवक्ता ललित राणा एवं राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अन्नु मलिक ने संगठन के बारे में बताया। उन्होंने किसान और मजदूरों को हक की लड़ाई के लिए एकजुटता पर जोर दिया।

उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर, मेरठ, बागपत, हापुड़, शामली, सहारनपुर और हरियाणा के जनपद कैथल अंबाला, यमुनानगर से काफी किसानों ने पंचायत में भाग लिया। किसान मजदूर संगठन की ओर से सात सूत्रीय ज्ञापन मुख्य मंत्री के नाम एसडीएम अरुण कुमार को दिया। गन्ना समिति के सचिव बीके राय, सीओ हिमांशु गौरव, एक्सईएन अजय कुमार कैम किसानों के बीच पहुंचे।

सुखबीर सिंह की अध्यक्षता में ओमी लाल आर्य, मंडल अध्यक्ष यशपाल सरपंच, प्रदेश महासचिव ब्रह्म सिंह राणा, सहारनपुर अध्यक्ष अजब सिंह, मेरठ अध्यक्ष देवराज सिंह, शामली अध्यक्ष सुरेश पुंडीर, मुजफ्फरनगर अध्यक्ष दीपक सोम, हापुड़ जिलाध्यक्ष महेश सिंह, बिजनौर जिलाध्यक्ष नौ बहार सिंह, उत्तराखंड के आलोक पुंडीर, कुशल पाल, संजू राणा, युवा जिलाध्यक्ष बिल्लू राणा, कृष्ण पाल, ईश्वर सिंह, विनोद राणा, मोहर सिंह करनाल, गुरदीप बीजना व साहिल आदि मौजूद रहे।

सात मांगों को लेकर सीएम के नाम दिया ज्ञापन
– कल्लरपुर नहर को चौगामा से जोड़कर किसानों को पानी मुहैया कराएं।
– नलकूपों से बिजली बिल फ्री और घरेलू बिजली दर सस्ती हों।
– 60 साल बाद किसान मजदूरों को वृद्धावस्था पेंशन दी जाए।
– गांवों में तालाबों की सफाई और सुंदरीकरण कराया जाए।
– बाढ़ प्रभावित गांवों में बर्बाद फसल का मुआवजा दिया जाए।
– बेसहारा पशुओं से किसानों को छुटकारा मिले।
– गन्ना मूल्य 500 रुपये प्रति क्विंटल एवं बकाया मय ब्याज के भुगतान हो।