मुजफ्फरनगर। शिक्षा विभाग द्वारा जिले में मदरसों के खिलाफ जारी किए जा रहे नोटिसों पर जमीयत उलेमा ने विरोध जताया है। जमीयत उलेमा की ओर से कहा गया कि मदरसों के विद्यालय की श्रेणी में न आने के बावजूद भी उन्हें लगातार नोटिस दिए जा रहे है।

जमीयत उलमा के सचिव कारी जाकिर हुसैन ने कहा कि जिले में चलने वाले धार्मिक मदरसों में निशुल्क शिक्षा प्रदान की जाती है। आजादी से पहले चले आ रहे मदरसे धार्मिक स्वतंत्रता के मौलिक अधिकारों के तहत चलाए जा रहे हैं। यह विद्यालयों की श्रेणी में नहीं आते है, बावजूद इसके शिक्षा विभाग लगातार मदरसों को नोटिस दे रहा है।

शहर के रहमत नगर में रविवार को जमीयत उलमा की बैठक का आयोजन हुआ। जिसमें मदरसों को बिना मान्यता प्राप्त विद्यालय बताकर बंद करने के मामले पर चर्चा हुई।

इस दौरान सचिव कारी जाकिर हुसैन ने कहा कि शिक्षा विभाग निशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा अधिनियम 2009 की धारा 18 के अधीन जो नोटिस प्रेषित कर रहा है, उसमें स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि यह नियम मुस्लिम मदरसों, पाठशालाओं या धार्मिक संस्थानों पर लागू नहीं होता। बावजूद इसके विभाग की कार्रवाई जारी है। इससे मुस्लिम समाज में रोष है।

इस मौके पर सदर हाफिज मोहम्मद इकराम, मौलाना गुलजार, कारी अब्दुल माजिद, वसीम आलम, सादिक, मौलाना अरशद, कारी बिलाल, मौलाना समीउल्लाह, डॉ. अखलाक, मौलाना रजी, मौलाना अम्मार, मुफ्ति जावेद मौजूद रहे।