मुजफ्फरनगर। चीन में फैली बीमारी को लेकर जहां स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से अलर्ट जारी किया गया है, वहीं जिले के स्वास्थ्य विभाग ने भी इसे लेकर सतर्कता बरतनी शुरु कर दी है।

चीन के उत्तरी क्षेत्र में तेजी से फैल रहे एवियन इन्फ्लूएंजा एच9एन2 के मामलों और बच्चों में सांस की बीमारी को लेकर जिला स्वास्थ्य विभाग भी सतर्क हो गया है। तैयारियों के लिए जिला चिकित्सालय में दो दिन तक मॉकड्रिल की प्रक्रिया पूरी कर ली गई। ऑक्सीजन प्लांट को चेक किया गया।

चीन की बीमारी को लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से अलर्ट जारी किया गया है। अस्पतालों को ऑक्सीजन और बेड तैयार रखने के निर्देश भी दिए गए। इसको लेकर जिला चिकित्सालय का प्रशासन पहले ही सतर्क हो गया है।

जिला चिकित्सालय पुरुष के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. राकेश कुमार ने बताया कि अस्पताल में अभी दो दिन तक डब्ल्यूएचओ की एसएमओ और स्वास्थ्य विभाग के ज्वाइंट डायरेक्टर ने मॉकड्रिल भी की थी। इसमें ऑक्सीजन प्लांट, ऑक्सीजन बेड, ऑक्सीजन सिलेंडर और ऑक्सीजन कंसंट्रेटर को चेक किया गया था।

उन्होंने कहा कि अस्पताल में मरीजों को अच्छे से अच्छा उपचार दिया जाता है। बताया कि जिला अस्पताल पुरुष में 1000 लीटर प्रति मिनट की क्षमता वाला ऑक्सीजन प्लांट है। कुल 175 बेड है। इनमें से 106 बेड पर ऑक्सीजन की सुविधा है। इसके अलावा 43 छोटे और 20 बड़े कुल 63 ऑक्सीजन सिलिंडर उपलब्ध है। 63 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर की सुविधा है। जो, पूरी तरह से सही है और चल भी रहे हैं।

जिले में चार सरकारी और एक प्राइवेट अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट है। जिला चिकित्सालय पुरुष में 1000, जिला महिला अस्पताल में 500, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बुढ़ाना में 333, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र खतौली में 500 और मेडिकल कॉलेज बेगराजपुर में 1132 लीटर प्रति मिनट की क्षमता वाले तीन ऑक्सीजन प्लांट मौजूद हैं। इसके अलावा पूरे जिले में 760 सरकारी ऑक्सीजन सिलिंडर उपलब्ध हैं।

जिला चिकित्सालय पुरुष में चेस्ट फिजिशियन (पल्मोनोलॉजिस्ट) नहीं हैं। ऐसे में फेफड़ों और छाती से संबंधी रोगियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। स्वामी कल्याण देव जिला चिकित्सालय में चेस्ट फिजिशियन का पद लंबे समय से खाली है। जिसके चलते कई मरीज रोजाना प्रभावित हो रहे हैं।

फेफड़े संबंधी मरीजों को निजी अस्पतालों में जेब ढीली करनी पड़ रही है। मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. राकेश कुमार ने बताया कि यहां पर अस्पताल में विशेषज्ञ चिकित्सक कम है। चेस्ट फिजिशियन भी नहीं है। कुछ मरीजों को फिजिशियन डॉ. योगेंद्र त्रिखा ही देख लेते है। इसके लिए शासन को भी लिखा गया है।