वन विभाग एवं प्रशासिनक अफसरों की लापरवाही कहे या कुछ और कि जिस शाहपुर में बसी रोड पर बाग के पेड़़ों को काटने के लिए भू माफिया कामयाब नहीं नहीं हो रहे थे। वही हराभरा बाग रात के अंधेरे में काट दिया गया है।
जबकि वन विभाग एवं एसडीएम को घटना से पूर्व ही जानकारी दे दी गई थी। अब विभागीय अफसर अपनी सफाई में कह रहे है कि रात में टीम भेजकर काम रुकवा दिया था। इसके बाद देर रात में पेट काटे गए। अब विभागीय खानापूर्ति के लिए 64 हजार का जुर्माना लगाया गया है। आगे कार्रवाई की बात कही जा रही है। इस पूरे मामले को लेकर विभाग एवं प्रशासनिक अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं।
शाहपुर-बसी रोड पर कई बीघा भूमि में आम का हरा-भरा बाग था। इस बाग को कुछ प्रॉपर्टी डीलरों द्वारा खरीदकर इस पर प्लाटिंग करने का इरादा बनाया था। प्रॉपर्टी डीलरों द्वारा जब बाग को काटने का प्रयास किया, तो क्षेत्र के लोगों ने इसका विरोध शुरू कर दिया, जिसके चलते वह बाग नहीं काट सके थे।
इसके बाद वह इस मामले को मैनेज करने में लग गए। इसमें कुछ नेताओं को भी अपने पक्ष में ले लिया। सूत्रों के मुताबिक अफसरों की भी मूक सहमति बन गई थी। इस कारण शनिवार की रात करीब 9-10 बजे भारी भरकम मजदूरों व मशीनों के साथ कुछ कथित माफिया इस बाग में पहुंच गये और हरे-भरे पेड़ों को काटना शुरू कर दिया। ग्रामीणों ने तुरंत इसकी शिकायत एसडीएम बुढ़ाना, जिला वनाधिकारी डीएम कंट्रोल रुम को पेड़ काटने की शिकायत की। आश्वासन मिलता रहा।
ग्रामीणों के मुताबिक टीम नहीं आई। उधर ग्रामीणों की मानें उनके फोन पर धमकिया आनी शुरू हो गई। देखते ही देखते आम के पेड़ को काटकर बाग को वीरान कर दिया। अधिकांश लकडियां भी रातोंरात ट्रैक्टर ट्रालियों में ढ़ो दी गई।
रात में ही बाग को ट्रैक्टर से जोत कर जमीन भी समतल कर दी गई। बताया जा रहा है कि भारी संख्या में पेड़ काटे गए। मामला बढ़ता देख वन विभाग की टीम रविवार को वहां पहुंची तो बाग के स्थान पर खाली खेत नजर आया। कुछ लकडियां पड़ी थी।
विभाग ने मात्र 18 पेड़़ों के कटान की पुष्टि की है। जबिक वास्तव में इससे कई गुणा पेड़़ कटान की बात कही जा रही है। ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने पुलिस को भी सूचना दी थी। वहां रेस्पोंस नहीं मिला। बताया जा रहा है कि स्थानीय पुलिस अफसर भी वन विभाग का मामला बता पल्ला झाड़ते नजर आए।