नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव खत्म हो गए हैं। 4 जून को रिजल्ट का बेसब्री से इंतजार है। एक्सपर्ट और न्यूज चैनल-एजेंसियों के एग्जिट पोल में वोटर्स का रुझान सामने आया है।
यूपी की 80 सीटों के समीकरणों का आकलन किया और समझा कि कौन-सी पार्टी किस सीट पर मजबूत है। 7 एजेंसियों के एग्जिट पोल में NDA को यूपी में 62 से 74 सीटें मिलने का अनुमान लगाया है। सपा-कांग्रेस के I.N.D.I गठबंधन को 9 से 13 सीटें मिल रही हैं। मायावती 2014 के बाद एक बार फिर शून्य पर सिमट रही हैं।

अगर 7 एजेंसियों के पोल ऑफ पोल्स यानी एवरेज की बात की जाए तो NDA को 67 से 71, I.N.D.I गठबंधन को 9 से 12 और एक सीट अन्य को मिल रही है। अखिलेश और राहुल के गठबंधन की सीटों पर वोट शेयर में जबरदस्त उछाल आया है। 2 सर्वे के मुताबिक, 2019 की तुलना में सपा-कांग्रेस गठबंधन का वोट शेयर 14% बढ़ा है।

10 बड़े चेहरों की सीटें

मजबूत कौन? भाजपा
अमेठी में भाजपा-कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर रही है। एक्सपर्ट के मुताबिक, भाजपा की स्मृति ईरानी मजबूत दिखाई गई हैं, जबकि सपा के वोट बैंक के सहारे कांग्रेस के केएल शर्मा टक्कर में दिख रहे हैं। अमेठी की सीट पर डेवलपमेंट के मुद्दे खूब चले। ध्रुवीकरण के फैक्टर बिल्कुल नहीं चला। यहां चेहरों की लड़ाई रही है।

मजबूत कौन? कांग्रेस
रायबरेली में राहुल गांधी चुनाव लड़ रहे हैं। उनका मुकाबला योगी सरकार में मंत्री दिनेश प्रताप सिंह से हैं। रायबरेली के चुनाव में राष्ट्रवाद, राम मंदिर और धारा-370 जैसे मुद्दे पीछे छूटते दिख रहे हैं। यही वजह है कि भाजपा की तुलना में कांग्रेस मजबूत दिख रही है। भाजपा यहां फाइट कर रही है।

मजबूत कौन? कांटे की टक्कर
रामायण में राम की भूमिका करने वाले अरुण गोविल के चुनाव में आने के बाद मेरठ सीट सुर्खियों में रही। यहां लोगों के बीच धारा-370, राम मंदिर और हिंदुत्व कार्ड खूब चला। मगर दलित वोटर्स के साथ सपा की कैंडिडेट सुनीता वर्मा फाइट में बनी हुई है। यहां एग्जिट पोल कांटे की टक्कर दिखा रहा है।

मजबूत कौन? भाजपा
ब्रज की सीट मथुरा पर भाजपा के लिए हवा खूब चली। 2014 के बाद से लगातार भाजपा जीत रही है। इस बार भी राष्ट्रीय मुद्दे ही यहां बीजेपी को मजबूती दे रहे हैं। यहां से भाजपा की हेमा मालिनी चुनावी मैदान में हैं। उनका मुकाबला कांग्रेस के मुकेश धनगर से है। लेकिन धर्म, राम मंदिर जैसे मुद्दों पर ध्रुवीकरण बीजेपी के पक्ष में जा रहा है। यहां बीजेपी मजबूत है।

मजबूत कौन? सपा
हर चुनाव में इस सीट पर हिन्दू-मुस्लिम वोट बैंकों का ध्रुवीकरण बना रहता है। मगर यह सीट सपा का गढ़ कही जाती है। यहां 2009 से लगातार सपा जीतती आ रही है। सपा के टिकट पर डिंपल यादव ने चुनाव लड़ा, जबकि योगी सरकार में मंत्री जयवीर सिंह टक्कर में थे। मुस्लिम बाहुल्य सीट पर सपा एक बार फिर आगे है। सपा का वोटिंग परसेंटेज भी बढ़ने का अनुमान है।

मजबूत कौन? सपा
कन्नौज में 1999 से सपा जीत रही थी। 2019 में भाजपा के सुब्रत पाठक ने बाजी पलट दी। यह सीट भाजपा के खाते में जुड़ गई। मगर 2024 के चुनाव में मुस्लिम वोटर्स का पोलराइजेशन नहीं हुआ। एकमुश्त मुस्लिम वोट सपा के खाते में गया है। इस सीट पर यादव वोटर भी निर्णायक रहे हैं, इसलिए भाजपा के लिए फाइट टफ हो चली। एग्जिट पोल भी यहां सपा को आगे दिखा रहे हैं।

मजबूत कौन? सपा
सपा से आदित्य यादव और भाजपा से दुर्विजय शाक्य की सीधी टक्कर रही। दोनों का यह पहला चुनाव है। बदायूं यूपी की उन चुनिंदा सीटों में शुमार है, जहां जातिगत फैक्टर चेहरे देखकर चलते हैं। सपा परिवार के आदित्य यादव के चुनाव मैदान में आने के बाद यादव परिवार भी एकजुट यहां चुनाव लड़ा है। यही वजह है कि उनका कोर वोटर बिखरा नहीं है। भाजपा फाइट में होने के बावजूद सपा की तुलना में कमजोर दिख रही है।

मजबूत कौन? भाजपा
बृजभूषण सिंह के सियासी मैदान से हटने के बाद उनके बेटे करण भूषण चुनाव लड़ रहे हैं। उन्हें टक्कर देने के लिए सपा के भगत राम मिश्रा डेवलपमेंट के मुद्दे के साथ चुनावी मैदान में थे। मगर यह सीट बृजभूषण के प्रभाव वाली है। यही वजह है कि एग्जिट पोल सामने आने के बाद भाजपा कैसरगंज में मजबूत दिख रही है। यह चुंनिदा सीटों में है, जहां मुद्दे असरदार नहीं हैं।

मजबूत कौन? सपा
यादव परिवार के धर्मेंद्र यादव चुनाव लड़ रहे हैं। आजमगढ़ सीट जातिगत समीकरणों में फंसी हुई है। 2022 के उपचुनाव में बसपा कैंडिडेट गुड्‌डू जमाली ने 2.60 लाख वोट लेकर भाजपा की राह आसान की थी। मगर 2024 में अखिलेश यादव ने गुड्‌डू को सपा जॉइन करवाकर राह आसान कर ली। अब यहां भाजपा के भोजपुरी अभिनेता दिनेश लाल यादव ‘निरहुआ’ मुश्किल में दिख रहे हैं। भाजपा के लिए आजमगढ़ सीट फंसी हुई है।

मजबूत कौन? भाजपा
वाराणसी सीट पर खुद पीएम नरेंद्र मोदी भाजपा से चुनाव लड़ रहे हैं। एग्जिट पोल के मुताबिक, वाराणसी में वोटिंग मार्जिन कुछ कम रह सकता है, मगर आगे पीएम मोदी ही हैं। अजय राय का वोटिंग मार्जिन बढ़ने का अनुमान है। यहां मुद्दों के साथ बड़े चेहरों की लड़ाई ज्यादा दिखी। यही वजह है कि भाजपा यहां आगे दिख रही है।

अब यूपी की 10 क्रिटिकल सीटें

1 मुजफ्फरनगर – केंद्रीय मंत्री डॉ. संजीव कुमार बालियान को सपा के हरेंद्र मलिक से कड़ी फाइट मिली है।

2 सहारनपुर – कांग्रेस के इमरान मसूद के लिए यह सीट आसान बताई जा रही थी। मगर एग्जिट पोल आने के बाद यह सीट फंसी हुई है।

3 कैराना – भाजपा के मौजूदा सांसद प्रदीप कुमार के लिए टफ फाइट है। सपा से इकरा हसन ने अच्छा चुनाव लड़ा है।

4 नगीना – सुरक्षित सीट पर चंद्रशेखर आजाद मजबूत चुनाव लड़े हैं। दलित वोटर्स बंटा है, भाजपा के ओम कुमार और सपा के मनोज कुमार के लिए सीट फंसी हुई है।

5 घोसी – गठबंधन के कोटे से घोसी सीट सुभासपा के अरविंद राजभर को मिली। एग्जिट पोल के मुताबिक, अरविंद के मुकाबले में राजीव राय मजबूत चुनाव लड़े हैं।

6 लखीमपुर खीरी – भाजपा के अजय मिश्रा ‘टेनी’ के लिए खीरी सीट पर चुनाव टफ है। उन्हें सपा के उत्कर्ष वर्मा से कड़ी टक्कर मिल रही है। मगर सियासी हवा भाजपा की तरफ बह रही है।

7 गोंडा – भाजपा के कीर्तिवर्धन सिंह को सपा की श्रेया वर्मा से अच्छी टक्कर मिली है। श्रेया का ये पहला चुनाव था, मगर उन्हें पूरे संगठन ने चुनाव लड़वाया है।

8 मुरादाबाद – भाजपा के कुंवर सर्वेश सिंह के खराब स्वास्थ्य की वजह से सपा की रुचि वीरा फाइट में आ गई हैं। पोलिंग होने के बाद सर्वेश सिंह का निधन हो गया। यह सीट फाइट में है।

9 पीलीभीत – वरुण गांधी के सियासी मैदान से हटने के बाद भाजपा के लिए पीलीभीत में सियासी फाइट टफ हो गई। सपा के भगवत सरन गंगवार ने अच्छा चुनाव लड़ा है।

10 इटावा – सपा के गढ़ में भाजपा के राम शंकर कठेरिया को सपा के जितेंद्र दोहरे से कड़ी टक्कर मिली है। जातिगत फैक्टर की वजह से यह सीट भाजपा के लिए फंसी हुई है।