नई दिल्ली। गर्मियों में शरीर को ठंडक पहुंचाने के लिए अगर आप भी कोल्ड ड्रिंक जैसे मीठे पेय का सेवन करते हैं तो सावधान हो जाइए, ये शरीर के लिए कई प्रकार से हानिकारक हो सकते हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञ तमाम अध्ययनों में मीठे पेय से होने वाले दुष्प्रभावों को लेकर सावधान करते रहे हैं। इसी से संबंधित एक हालिया अध्ययन में वैज्ञानिकों ने बताया कि जो लोग हफ्ते में दो बार भी मीठे पेय का सेवन करते हैं और नियमित रूप से व्यायाम नहीं करते हैं, उनमें हृदय रोग विकसित होने की आशंका लगभग 50% अधिक होती है।

अध्ययनकर्ताओं ने बताया बाजार में आसानी से उपलब्ध सोडा, मीठे पेय और स्पोर्ट्स ड्रिंक्स जैसे ऐडेड शुगर वाले पेय आपके स्वास्थ्य को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा सकते हैं, भले ही आप इसका सीमित मात्रा में ही क्यों न सेवन करते हों।
अमेरिकन जर्नल ऑफ क्लीनिकल न्यूट्रिशियन में प्रकाशित अध्ययन की रिपोर्ट में शोधकर्ताओं ने बताया कम मात्रा में भी मीठे पेय के सेवन की आदत असल में बहुत नुकसानदायक हो सकती है।

हार्वर्ड के टी.एच. चैन स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ में आहार और पोषण अनुसंधान वैज्ञानिक डॉ लोरेना पचेको कहते हैं, मैं खुद एक आहार विशेषज्ञ हूं, इसलिए इस बात से सहमत हूं कि हमारे लिए मीठे पेय कितने हानिकारक हो सकते हैं। ये पेय पदार्थ तरल कैंडी की तरह होते हैं। स्पोर्ट्स ड्रिंक्स को लेकर भी कई अध्ययनों में दुष्प्रभावों को लेकर सावधान किया जाता रहा है।

एक लाख से ज्यादा लोगों पर किए गए चौंकाने वाले अध्ययन में वैज्ञानिकों ने पाया कि जो लोग नियमित रूप से व्यायाम करते हैं और हफ्ते में सिर्फ दो बार ही मीठे पेय पदार्थ पीते हैं, उनमें हृदय रोगों का खतरा 15 फीसदी तक अधिक होता है। वहीं जिन प्रतिभागियों ने हफ्ते में दो बार मीठे पेय पदार्थ पिए और व्यायाम नहीं किया, उनमें दिल की बीमारी होने का जोखिम 50 फीसदी अधिक देखा गया।

अध्ययनकर्ता कहते हैं, यह कोई रहस्य नहीं है कि किसी भी रूप में चीनी का अधिक सेवन करना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है, लिक्विड के रूप में चीनी का सेवन और भी समस्याकारक है। डॉ लोरेना पचेको कहते हैं, मार्केटिंग कंपनियां इस बात पर जोर देती हैं कि चीनी-मीठे पेय पदार्थों का उन लोगों के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता है जो नियमित व्यायाम करते हैं। पर हमारे निष्कर्षों इस बात को पूरी तरह से खारिज करते हैं।

चीनी-मीठे पेय पदार्थों का सेवन जितना संभव हो उतना कम करना चाहिए। ये न सिर्फ हृदय रोगों का कारक हैं, इनसे डायबिटीज, मोटापा और इंफ्लामेशन का भी खतरा हो सकता है।

यूएस स्थित विर्टा हेल्थ में चिकित्सा निदेशक प्रोफेसर जेफ स्टेनली कहते हैं, हाई ग्लूकोज का स्तर और हाई इंसुलिन के कारण रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचने, मधुमेह और इसकी जटिलताओं का खतरा हो सकता है। इंसुलिन प्रतिरोध भी हृदय रोग के लिए एक बड़ा जोखिम कारक है